नई दिल्ली/गाजियाबाद:व्रतों में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है और इसके माध्यम से भगवान शिव की विशेष कृपा पाई जा सकती है. यह व्रत साल में 24 बार आता है, जो हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है. बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष कहते हैं. 3 मई बुधवार को लोग बुध प्रदोष का व्रत करेंगे. साथ ही यह वैशाख माह का दूसरा और अंतिम प्रदोष व्रत भी है.
इस व्रत को करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं. कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से सभी तरह के कष्ट और पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही बुध प्रदोष का व्रत करने से बेहतर स्वास्थ्य और लंबी आयु की भी प्राप्ति होती है. यह भी मान्यता है कि बुध प्रदोष का व्रत रखने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं और आर्थिक क्षेत्र में उन्नति मिलती है. इसके अतिरिक्त, कार्य क्षेत्र में भी सफलता की प्राप्ति होती है.
प्रदोष व्रत में पूजन:व्रती सायंकाल स्नान करें और भगवान शिव की पूजा करें. प्रदोष काल में भगवान शिव का षोडशोपचार तरीके से पूजन और प्रदोष व्रत की कथा करने के बाद भगवान भोलेनाथ की आरती करें और प्रसाद वितरण कर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें.
पूजा का मुहूर्त-
- पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 2 मई 2023 को रात 11 बजकर 17 मिनट से प्रारंभ हो रही है.
- त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 3 मई 2023 को रात 11 बजकर 49 मिनट पर होगी.
- बुध प्रदोष व्रत पूजन का मुहूर्त - शाम 06:57 - रात 09:06 (3 मई 2023)