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नोएडाः लाइफस्टाइल ही नहीं, ट्रैफिक जाम भी दे रहा बीमारियों को दावत, निशुल्क जांच शिविर में 275 लोगों का हुआ चेकअप

नोएडा के सेक्टर 55 स्थित कम्युनिटी सेंटर में रविवार को नोएडा डायबिटीक फोरम की तरफ से निशुल्क जांच शिविर का आयोजन किया गया. इसमें डॉक्टरों ने 275 लोगों की ई.सी.जी., ब्लड, ग्लूकोज, लंग्सा टेस्ट्, ऑख-कान-गला-नाक, यूरिक एसिड, अल्ट्रासाउंड, बॉडी मास इंडेक्स, इको की जांच की. इसके साथ-साथ लोगों को विशेष सलाह भी दी गई.

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Published : Mar 19, 2023, 10:47 PM IST

डॉ. एसपी जैन जानकारी देते हुए

नई दिल्ली/नोएडा:हाइटेक सिटी नोएडा में ट्रैफिक जाम ने तनाव, मधुमेह और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों को न्योता देना शुरू कर दिया है. वहीं इससे होने वाले प्रदूषण के कारण गले भी प्रभावित हो रहे हैं, जिसके कारण जो खांसी पहले 4 से 5 दिन में ठीक हो जाती थी, वो अब 3 हफ्ते से 4 हफ्ते कई मामलों में 6 हफ्ते तक का भी समय ले रही है. यह बातें नोएडा के सेक्टर 55 स्थित कम्युनिटी सेंटर में रविवार को नोएडा डायबिटीक फोरम की तरफ से लगाए गए निशुल्क जांच शिविर में ईएनटी डाक्टर एसपी जैन ने कही.

उन्होंने बताया कि ऐसे कई लोग मिले, जो प्रतिदिन 4 से 5 घंटे तक ट्रैफिक का सामना कहते हैं. जांच में इनमें मधुमेह की पुष्टि हुई है. कैम्प में बड़ी संख्या में ऐसे मरीज आए, जो खांसी की समस्या से पीड़ित थे. सेक्टर- 55 में लगाए गए शिविर में डॉक्टरों ने 275 लोगों की ई.सी.जी., ब्लड, ग्लूकोज, लंग्सा टेस्ट्, ऑख-कान-गला-नाक, यूरिक एसिड, अल्ट्रासाउंड, बॉडी मास इंडेक्स, इको की जांच की.

निशुल्क जांच शिविर में जांच कराते मरीज

नोएडा डायबिटिक फोरम के अध्यक्ष डॉ. जीसी वैष्णव ने बताया कि पहले टाइप-टू डायबिटीज 15 साल से अधिक उम्र के बच्चों को होती थी, लेकिन अब 15 साल से कम उम्र के बच्चों में भी पाया जा रहा है. डॉक्टर वैष्णव ने बताया कि प्रदूषण का प्रभाव भी डायबिटीज रोग पर दिखाई देने लगा है. उन्होंने बताया कि नोएडा डायबिटिक फोरम अपनी स्थापना के बाद से लगातार प्रत्येक माह के तीसरे रविवार को लगाए जाने वाले निशुल्क जांच शिविर न सिर्फ लोगों को सचेत कर रहा है, बल्कि उन्हें बेहतर लाइफ जीने के लिए जागरूक भी कर रहा है. लोगों की जांच शहर के प्रमुख अस्पताल के 20 से ज्यादा डॉक्टरों ने की.

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प्रदूषण का प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर दिखाई देने लगा है. नाक, कान, गला के वरिष्ठ डॉ एसपी जैन बताते हैं कि कैंप में बडी संख्या में ऐसे मरीज आए जो खांसी की समस्या से पीड़ित थे. यह खांसी 99% तक सूखी खांसी है और 1% बलगम वाली खांसी है. यह सूखी खांसी फेफड़ों पर असर नहीं कर रही है. फेफड़ों से ऊपर श्वास नली है. उसके अंदर पॉल्यूशन बैठ रहा है. इसमें उसकी वजह से उसे रोगी को बार-बार धसका सा उठता है. इचिंग होती है. उसके बाद सांस फूलने लगता है. जैसे ही रोगी बेड पर लेटता है, उसकी खांसी बढ़ जाती है. ऐसे मामलों में एंटी एलर्जी टैबलेट न्यू एलाइजर और भाप का इस्तेमाल करने से इस पर कंट्रोल पाया जा सकता है.

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