नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद में महिला थाने के कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज (FIR on staff of women police station in Ghaziabad) किया है. आरोप है कि परिवार परामर्श केंद्र में शिकायत लेकर पहुंची महिला की शिकायत कॉपी को थाने के कर्मचारियों ने बदल (Police increased charges of abortion) दिया. पुलिस कमिश्नर के आदेश पर महिला थाने के कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. इस मामले में एक महिला के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है. शक है कि महिला ने थाने के कर्मचारियों के साथ मिलकर अपने पति को गर्भपात के झूठे केस में फंसाने की कोशिश की. हालांकि हैरत की बात यह है कि थाने के भीतर ही शिकायत की कॉपी बदल दी गई जिसका खुलासा आरटीआई से हुआ.
गाजियाबाद के सिहानी गेट थाने में नीतू सोलंकी नाम की महिला और महिला थाने के स्टाफ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. आपको पूरा मामला विस्तार से बताते हैं, यह पूरा मामला झूठे गर्भपात का है. आप सोच रहे होंगे कि झूठा गर्भपात क्या होता है. दरअसल कुछ समय पहले नीतू सोलंकी नाम की एक महिला अपने पति के खिलाफ शिकायत लेकर महिला थाने पहुंची थी. महिला ने दहेज के लिए मारपीट और धमकी देने जैसे आरोप अपने पति पर लगाए थे. इस बात की लिखित शिकायत दर्ज कराई थी. नियम के अनुसार मुकदमा दर्ज करने से पहले दोनों पक्षों यानी पति और पत्नी के पक्ष के बीच काउंसलिंग हुई. यह काउंसलिंग परिवार परामर्श केंद्र में हुई.
11 जुलाई को दोनों पक्षों को बुलाकर मध्यस्थता करवा दी गई. जब मामले में कोई हल नहीं निकला तो 9 सितंबर को नीतू सोलंकी से परिवार परामर्श केंद्र द्वारा बात की गई, लेकिन वह थाने नहीं आई और उन्होंने अनुरोध किया कि उनके पति पर एफआईआर दर्ज करा दी जाए, जिसके बाद नीतू सोलंकी के प्रार्थना पत्र पर महिला थाने को परिवार परामर्श केंद्र द्वारा शिकायत की कॉपी भेज दी गई. 15 सितंबर को मुकदमा भी दर्ज हो गया. हालांकि मुकदमे की धाराएं आरोप के हिसाब से अतिरिक्त थी. इसमें गर्भपात कराने की धारा भी दर्ज कराई गई थी, जबकि शिकायत में नीतू सोलंकी ने गर्भपात कराने का जिक्र नहीं किया था.