नई दिल्ली:राजधानी दिल्ली में करीब 13 फीसदी मुस्लिम आबादी है. सीटों की बात करें, तो पूर्वी दिल्ली, चांदनी चौक और उत्तर पूर्वी दिल्ली में इनकी आबादी चुनाव जिताने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है. ईटीवी भारत ने पूर्वी दिल्ली के कुछ मुस्लिम मतदाताओं से बात कर ये जानने की कोशिश की, कि वे इस चुनाव को लेकर क्या सोचते हैं. हमने उनसे उनके हालात पर भी चर्चा की.
अशोक नगर पहुंची ईटीवी भारत की टीम
पूर्वी दिल्ली का एक इलाका है, अशोक नगर, जो नोएडा से सटा है. विकास की बात करें तो आज भी ये बुनियादी सुविधाओं से महरूम है. इलाके में एक मस्जिद है, जहां लोग हमें नमाज पढ़ते दिखे, वहीं कुछ बच्चे मदरसे में कुरान की आयतें रटते हुए. हमने बच्चों से भी उनकी पढ़ाई और उनके सपनों को लेकर बातचीत की.
माईक देखते ही बाहर आया वर्षों का दर्द
इस देश के मुस्लिमों के एक बड़े तबके में अभी भी शिकायत है कि उन तक विकास की रौशनी उस तरह से नहीं पहुंची, जिस तरह से समाज के दूसरे वर्गों के पास पहुंची है. कई बार उनकी शिकायतें सार्वजनिक रूप से सामने भी नहीं आ पाती. ईटीवी भारत का माईक देखते ही जैसे उनके अंदर का दर्द बाहर आ गया.
वोट देना महज औपचारिकता क्यों है?
इस मस्जिद में हमें मोहम्मद जमीर मिले, जिन्होंने खुलकर अपनी शिकायतें सामने रखीं. उन्होंने बताया कि कई बार मस्जिद के सामने लोग जय श्रीराम के नारे लगाते हुए जाते हैं. उनका संकेत इस तरफ था कि ऐसा उन्हें चिढ़ाने के लिए किया जाता है. उन्होंने ये भी कहा कि वोट तो हमें देना ही है क्योंकि हम हिंदुस्तानी हैं.
जमीर ने कहा कि, चुनावों के समय सभी दलों के लोग आते हैं, लेकिन किसी ने हमारी कौम के लिए कुछ नहीं किया. उन्होंने साफ कहा कि चाहे कांग्रेस हो या आम आदमी आम पार्टी, किसी ने भी मुस्लिमों के लिए कुछ नहीं किया और भाजपा तो हमेशा हिन्दू-मुस्लिम ही करती रहती है.