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साल 2019: काम से ज्यादा विवादों में रहा पूर्वी दिल्ली नगर निगम

पूर्वी दिल्ली नगर निगम 2019 की शुरूआत से ही विवादों में रहा. सबसे पहले निगम में पक्ष और विपक्ष के बीच बजट के आवंटन को लेकर जोरदार गतिरोध देखने को मिली. उसके बाद शिक्षकों को लेकर विवाद देखने को मिला. और अंत में मेयर अंजू कमलकांत के नाम का मामला भी सुर्खियों में रहा.

EDMC in more controversies than work
EDMC मुख्यालय

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Published : Dec 26, 2019, 11:13 PM IST

नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली नगर निगम साल 2019 में अपने काम से ज्यादा विवादों के कारण सुर्खियों में रहा. अगर बात साल की शुरुआत की करें तो पक्ष और विपक्ष के बीच बजट के आवंटन पर जोरदार गतिरोध देखने को मिली. तो वही साल के अंत में निगम के स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति का मामला देखने को मिला.

काम से ज्यादा विवादों में रहा पूर्वी दिल्ली नगर निगम

बजट को लेकर पक्ष विपक्ष में हुई तकरार
साल 2019 की शुरुआत में पूर्वी दिल्ली नगर निगम में पक्ष और विपक्ष के बीच बजट के आवंटन को लेकर जोरदार गतिरोध देखने को मिली. बता दें कि दिल्ली के तीनों नगर निगम में सत्ता पर बीजेपी काबिज है. और आम आदमी पार्टी तीनों नगर निगम में विपक्ष की भूमिका निभा रही है. हमेशा से ही विपक्ष का आरोप रहा है कि बीजेपी शासित नगर निगम में विपक्षी पार्षदों को फंड का आवंटन नहीं किया जाता है. जिस कारण उनके क्षेत्र में विकास के कार्य नहीं हो पा रहे.

शिक्षकों की नियुक्ति मामले को लेकर भी मचा बवाल
कुछ महीने पहले पूर्वी दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी को देखते हुए शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी. लेकिन जॉइनिंग के समय शिक्षकों को नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया. जिसके बाद शिक्षक पूर्वी दिल्ली नगर निगम के गेट पर ही बैठ गए. कई दिनों तक शिक्षक अपनी नियुक्ति को लेकर प्रदर्शन करते रहे. प्रदर्शन इतना बढ़ गया कि निगम मुख्यालय पर पुलिस बलों को भी तैनात करना पड़ा. प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं के हस्तक्षेप के बाद शिक्षकों की नियुक्ति तो हो गई. लेकिन यह मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है.

सदन में उछला मेयर के नाम का मामला
साल के अंत में पूर्वी दिल्ली नगर निगम की मेयर अंजू कमलकांत के नाम का मामला भी सुर्खियों में रहा. सदन की बैठक के दौरान लगातार विपक्षी दल के पार्षद यह मुद्दा उठाते रहे कि नामांकन के समय मेयर ने अपना नाम सिर्फ अंजू लिखवाया था. लेकिन अब वह अंजू कमलकांत लिखती है. आखिर इसके पीछे की सच्चाई क्या है यह सदन के सामने आना चाहिए.

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