नई दिल्ली/गाजियाबाद:दिव्यांगों का जीवन आम लोगों के जीवन के मुकाबले काफी अलग होता है. उनके संघर्ष को पूरा समझ पाना किसी आम आदमी के लिए थोड़ा मुश्किल होता है. लेकिन गाजियाबाद के बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात डॉ. राकेश कुमार बीते 28 सालों से दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, जो काफी हद तक सफल भी रहा है. उनके इस कार्य के लिए उन्हें लखनऊ सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी राज्य स्तरीय सम्मान दिया जाएगा. वे उत्तर प्रदेश द्वारा इस सम्मान से सम्मानित होने एकमात्र कर्मचारी होंगे.
राकेश ने करीब 28 साल पहले द वेलफेयर ऑफ मेंटली रिटार्डेड संस्था में बतौर सोशल वर्कर काम किया. इसके बाद करीब छह सालों तक बेसिक शिक्षा विभाग गाजियाबाद में जिला समन्वयक (समेकित शिक्षा) का पदभार संभाला. अब तर वे करीब नो हजार से अधिक दिव्यांग बच्चों को नई दिशा देकर उनका जीवन संवार चुके हैं.
ऐसा लाए मुख्यधारा में:उन्होंने बताया कि वह छह से 14 साल तक के दिव्यांग बच्चों के लिए सरकार संचालित विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करने की भूमिका निभा रहे हैं. वे दिव्यांग बच्चों के लिए मेडिकल असेसमेंट कैंप, मेजरमेंट एंड डिस्ट्रीब्यूशन कैंप, गंभीर दिव्यांग बच्चों के लिए आवासीय कैंप के आयोजन समेत दिव्यांगों के लिए म्यूजिक, खेलकूद और कंप्यूटर आदि का प्रशिक्षण देने का काम कर रहे हैं. इन सभी कैंप में शामिल होने वाले बच्चे अब जिंदगी में काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें से बड़ी संख्या में बच्चे अब सरकारी संस्थानों समेत निजी कंपनियों में भी काम कर रहे हैं.
दी जा रही ये सुविधाएं: इसके साथ राकेश कुमार टाटा स्टील, एचसीएल समेत आदि निजी कंपनियों के साथ समन्वय स्थापित कर सीएसआर (कोर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंड के माध्यम से समय-समय पर दिव्यांग बच्चों के लिए कंप्यूटर लैब, खेल सामग्री आदि की व्यवस्था कराते हैं. डॉ. राकेश बताते हैं दिव्यांग बालिकाओं के लिए स्टाइपेंड और अति गंभीर दिव्यांग बच्चों के लिए एस्कॉर्ट अलाउंस दिए जाने की भी व्यवस्था है.