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EWS पर 10 फीसदी आरक्षण को लेकर दिल्ली के लोगों की अलग-अलग राय

सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (Economically Weaker Section reservation) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण बरकरार रखने पर अपनी मुहर लगा दी है. लोगों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईडब्ल्यूएस को लेकर लिया गया फैसला एक सराहनीय कदम है.

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Published : Nov 13, 2022, 12:48 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण बरकरार रखने पर अपनी मुहर लगा दी है. मामले की सुनवाई करते हुए पांच जजों वाली संवैधानिक पीठ ने EWS आरक्षण के पक्ष में 3:2 के अंतर से अपना फैसला सुनाया. तीन न्यायाधीश ने अधिनियम को बरकरार रखने के पक्ष में जबकि चीफ जस्टिस और एक न्यायाधीश ने इस पर असहमति जताई. वहीं इसको लेकर राजधानी दिल्ली के लोगों की अलग-अलग राय है. लोगों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ईडब्ल्यूएस को लेकर फैसला एक सराहनीय कदम है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की हालत सुधरेगी.

दिल्ली के अंबेडकर नगर विधानसभा क्षेत्र के दुग्गल कॉलोनी में रहने वाले सतीश शर्मा का सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर कहना है कि कहीं ना कहीं इससे मध्यमवर्गीय लोगों को जरूर नुकसान होगा. क्योंकि हम मध्यमवर्गीय लोगों को तो कोई फायदा नहीं होता है. हम लोग टैक्स जमा करते हैं. सरकार हमारी तरफ तो बिल्कुल नहीं सोच रही और ना ही मध्यमवर्गीय लोगों के लिए कोई ध्यान भी दिया जा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर दुग्गल कॉलोनी में रहने वाले देवेंद्र बंसल ने बताया कि यदि सरकार का फैसला एकदम अच्छा है, और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगा दी है. केंद्र की मोदी सरकार लगातार लोगों के हित के बारे में सोचती है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों को पहले ही आरक्षण का फायदा मिल चुका है, उन्हें अब नहीं मिलना चाहिए. गरीब तो किसी भी जाति धर्म हो सकता है. अगर गरीबी रेखा के आधार पर यह आरक्षण दिया जा रहा है तो अच्छी बात है, क्योंकि गरीब तो सामान्य वर्ग में भी काफी लोग होते हैं, लेकिन उन तक आरक्षण नहीं पहुंच पाता. सबसे बड़ी बात यह भी है कि अगर जो वाकई में गरीब है, उन लोगों को आरक्षण मिले तो यह एक सराहनीय कदम है.

आरक्षण को लेकर दिल्ली के लोगों की अलग अलग राय

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वहीं इसको लेकर दिल्ली के रहने वाले दुर्गा प्रसाद ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जो सामान्य वर्ग के आरक्षण को लेकर फैसला सुनाया गया है, यह काफी अच्छा है. इससे सामान्य वर्ग के लोगों को फायदा मिलेगा, जो गरीबी में अपनी गुजर-बसर कर रहे हैं. इसके साथ ही स्थानीय निवासी अमन मल्होत्रा का भी यह कहना है कि इसका श्रेय पीएम मोदी को जाता है जिन्होंने पहले से ही लोगों से वादा किया था. उनका कहना है कि आरक्षण जाति धर्म को ना देख कर गरीबी के आधार पर दिया जाए तो बेहतर होगा, क्योंकि जिन लोगों को पहले से आरक्षण मिलता रहा है उनकी हालत ठीक हो चुकी है और उन्हें आरक्षण की जरुरत नहीं हैं.

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