डार्क रेड जोन में एनसीआर की हवा, यहां चेक करें अपने इलाके का AQI
दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. सोमवार को अधिकतर इलाकों में प्रदूषण का स्तर Dark Red Zone में रहा. वहीं गाजियाबाद और नोएडा में भी एक्यूआई रेड जोन में दर्ज किया गया है. (Air Quality Index in Delhi NCR)
Delhi NCR Pollution Update
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Published : Jan 9, 2023, 1:15 PM IST
नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण स्तर में एक बार फिर बढ़ोतरी देखने को मिली है. दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर डार्क रेड जोन में दर्ज किया गया है. दिल्ली के कई इलाकों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार दर्ज किया गया है. दिल्ली में सबसे प्रदूषित ITO दिल्ली है यहां का AQI 477 दर्ज हुआ है. गाजियाबाद और नोएडा का AIR QUALITY INDEX भी रेड जोन में दर्ज किया गया है.
दिल्ली के इलाकों का प्रदूषण स्तर-
दिल्ली के इलाके
वायु प्रदूषण स्तर
अलीपुर
360
शादीपुर
425
डीटीयू दिल्ली
400
आईटीओ दिल्ली
477
सिरिफ्फोर्ट
439
मंदिर मार्ग
436
आरके पुरम
443
पंजाबी बाग
438
लोधी रोड
377
नॉर्थ कैंपस डीयू
406
CRRI मथुरा रोड
NA
पूसा
400
IGI एयरपोर्ट टर्मिनल
409
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम
442
नेहरू नगर
472
द्वारका सेक्टर 8
NA
पटपड़गंज
462
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज
432
अशोक विहार
412
सोनिया विहार
418
जहांगीरपुरी
430
रोहिणी
419
विवेक विहार
433
नजफगढ़
342
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम
449
नरेला
402
ओखला फेस टू
457
बवाना
437
श्री औरबिंदो मार्ग
407
मुंडका
425
आनंद विहार
455
IHBAS दिलशाद गार्डन
298
चांदनी चौक
310
गाजियाबाद के इलाकों का प्रदूषण स्तर-
गाजियाबाद के इलाके
वायु प्रदूषण स्तर
वसुंधरा
426
इंदिरापुरम
329
संजय नगर
335
लोनी
373
नोएडा के इलाकों का प्रदूषण स्तर-
नोएडा के इलाके
वायु प्रदूषण स्तर
सेक्टर 62
418
सेक्टर 125
386
सेक्टर 1
407
सेक्टर 116
430
Air quality Index की श्रेणी:एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी: वरिष्ठ सर्जन डॉ. बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुंच जाते हैं.
Sinusitis और Bronchitis का खतरा: डॉ. त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में इकट्ठा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.