Delhi NCR Air Pollution: 'अत्यंत खराब' श्रेणी में दिल्ली की हवा, नोएडा-गाज़ियाबाद की भी हालत खराब - जहरीली हवा के आगे बेबस हुई दिल्ली
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण स्तर बेहद ही खराब स्थिति में है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली का AQI 310 है जो कि 'अत्यंत खराब' श्रेणी में है. वहीं गाजियाबाद का AQI 258, ग्रेटर नोएडा का AQI 290 और नोएडा का AQI 241 है जो कि 'खराब' श्रेणी में है.
Delhi NCR Air Pollution
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Published : Nov 14, 2022, 9:13 AM IST
नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर (Delhi pollution level rises) के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर रेड जोन (Red Zone 300-400 AQI) में दर्ज किया गया है. प्रदूषण में हुई बढ़ोतरी के कारण लोगों को स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. फिलहाल दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर रेड जोन में बरकरार है.
दिल्ली एनसीआर के हालात मौजूदा समय में खराब नजर आ रहे हैं. दिल्ली के अलीपुर, शादीपुर, एनएसआईटी द्वारका, सिरी फोर्ट, आरके पुरम, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, नेहरू नगर, पटपड़गंज, सोनिया विहार, जहांगीरपुरी, रोहिणी, विवेक विहार, अशोक विहार, नरेला, ओखला फेस 2, वजीरपुर, भवाना और मुंडका इलाके का प्रदूषण स्तर रेड जोन में बना हुआ है.
एनसीआर के प्रमुख इलाकों का प्रदूषण स्तर-
एनसीआर के इलाके
प्रदूषण स्तर
लोनी, गाज़ियाबाद
271
इंदिरापुरम, गाज़ियाबाद
215
संजय नगर, गाजियाबाद
262
वसुंधरा, गाजियाबाद
266
सेक्टर 62, नोएडा
NA
सेक्टर 116, नोएडा
270
सेक्टर 125, नोएडा
221
सेक्टर 1, नोएडा
233
Air quality Index की श्रेणी: एयर क्वालिटी इंडेक्स जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी: वरिष्ठ सर्जन डॉ. बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुंच जाते हैं.
दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर
Sinusitis और Bronchitis का खतरा:डॉ. त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में इकट्ठा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है, जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.
दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर
प्रदूषण बढ़ने पर बरते ये सावधानियां बरतें:बाहर निकलने से परहेज करें, सुबह और शाम लोग टहलने जाते हैं. खासकर बुजुर्ग और बच्चे शाम के वक्त पार्कों में दिखाई देते हैं. प्रदूषण से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्ग और बच्चों को होता है. जब प्रदूषण का स्तर सामान्य से काफी अधिक हो तो घर के बाहर जाने से बचें. खासकर वह लोग जिन की प्रतिरोधक क्षमता कम है. बच्चों और बुजुगों को भी बाहर जाने से परहेज करना चाहिए. एक्सरसाइज आदि भी घर के अंदर करें.