नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के चौधरी मोड़ स्थित सेक्रेड हार्ट चर्च(Sacred Heart Church) एनसीआर के सबसे पुराने चर्चों में से एक है. तकरीबन 105 वर्ष पहले सन 1917 में इटली के रहने वाले बिशप वान्नी ने रोमन कैथोलिक विचारधारा के इस चर्च की स्थापना की थी. शहर के बीचो-बीच बने इस चर्च में दूर-दूर से लोग प्रार्थना करने के लिए पहुंचते हैं.
चर्च के फादर जोस जोसेफ (Jose Joseph) बताते हैं कि 1917 में सेक्रेड हार्ट चर्च की स्थापना होने के बाद 1991 में इसका जीर्णोद्धार कर नया रूप दिया गया. चर्च सप्ताह में केवल दो दिन केवल शुक्रवार और रविवार को ही खुलता है. सर्दी के मौसम में शुक्रवार को शाम साढ़े पांच से शाम साढ़े छह बजे तक और रविवार को सुबह साढ़े सात से सुबह दस बजे खुलता है. 24 दिसंबर को रात्रि साढ़े नौ बजे क्रिसमस ईव के उपलक्ष्य में प्रार्थना होगी.
Christmas 2022: 105 साल पुराना है गाजियाबाद का सेक्रेड हार्ट चर्च, क्रिसमस को लेकर तैयारियां पूरी
क्रिसमस को देखते हुए गाजियाबाद के सेक्रेड हार्ट चर्च(Sacred Heart Church) में काफी रौनक देखने को मिल रही है. क्रिसमस को लेकर चर्च में तमाम तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. चर्च को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया है. चर्च में गोशाला बनाई गई है. चर्च में सितारे लगाए गए हैं और क्रिसमस ट्री सजाए गए हैं.
ये भी पढ़ेंः BF7 Alert: Ghaziabad में हर सैंपल की होगी जिनोम सीक्वेंसिंग, स्कूल-ऑफिस को CMO ने जारी की एडवाइजरी
क्रिसमस को देखते हुए सेक्रेड हार्ट चर्च में काफी रौनक देखने को मिल रही है. क्रिसमस को लेकर चर्च में तमाम तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. चर्च को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया है. चर्च में गोशाला बनाई गई है. सितारे लगाए गए हैं और क्रिसमस ट्री सजाए गए हैं.
आज से करीब 2000 साल पहले फिलिस्तीन के वेहतलहम नगर में प्रभु यीशु का जन्म हुआ था. जब दुनिया में पाप बढ़ गया. बुराईयां बढ़ गई तो ईश्वर खुद इंसान बन गए. प्रभु ईशु का जन्म एक गोशाला में जानवरों के मध्य हुआ था. प्रभु ईशु के जन्मदिवस की खुशी में हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस दिवस के रूप में मनाया जाता है.
प्रभु ईशु मसीह एक महान व्यक्ति थे. उन्होंने सभी को सच्चाई के मार्ग पर चलने की सीख दी है. कहा जाता है कि वह भगवान के पुत्र थे. जिन्होंने सच्चाई का मार्ग चुना लेकिन उस समय के शासकों को उनकी यह बात पसंद नहीं थी. उन्होंने यीशु मसीह को मार डाला था. लेकिन लोगों का विश्वास है कि वह फिर से इसी दिन जीवित हो गए थे.