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नोएडाः पूर्व DIG के साथ ठगी का मामला सुलझा, नाइजीरियाई के साथ ठगी का गिरोह चलानेवाले सात आरोपी गिरफ्तार

नोएडा पुलिस ने नाइजीरियाई लोगों के साथ मिलकर ठगी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है. लखनऊ निवासी पूर्व डीआईजी राम प्रताप सिंह के साथ हुई ठगी के मामले को सुलझाते हुए पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. सभी आरोपी नाइजीरियाई लोगों को फर्जी अकाउंट और सिम किराए पर देकर भोले-भाले लोगों को ठगने का काम करते थे.

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Published : Feb 4, 2023, 11:11 PM IST

पूर्व DIG के साथ ठगी का मामला सुलझा

नई दिल्ली/नोएडाः नोएडा के थाना साइबर क्राइम सेक्टर 36 पुलिस ने शनिवार को दिल्ली, बदायूं और गाजियाबाद से सात ऐसे आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो नाइजीरियन गैंग के साथ मिलकर लोगों के साथ धोखाधड़ी करते थे. गिरफ्तार आरोपी नाइजीरियन गैंग को 20 हजार रुपये के बदले फर्जी बैंक अकाउंट किराए पर देते थे. इस गैंग ने अब तक 500 से अधिक बैंक खातों को नाइजीरियन गैंग को उपलब्ध कराए हैं. साइबर थाना पुलिस ने गैंग के सरगना सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया है. बता दें, इन आरोपियों की गिरफ्तारी पूर्व डीआईजी द्वारा ठगी का केस दर्ज कराने के बाद हुई है.

नाइजीरियन गैंग से ठगी का शिकार हुए लखनऊ निवासी पूर्व डीआईजी राम प्रताप सिंह ने इस संबंध में साइबर क्राइम थाना में 22 जून 2022 को मुकदमा दर्ज कराया था. इसमें उन्होंने कहा था कि जीनथ नामक ब्रिटिश महिला ने फेसबुक के माध्यम से दोस्ती कर उससे 8.17 लाख रुपए ठग लिए. उन्होंने बताया कि महिला ने पूर्व डीआईजी को बताया कि वह 1.5 करोड रुपये की करेंसी के साथ लखनऊ आई है और एयरपोर्ट अधिकारियों ने उसे पकड़ लिया. इसके बाद महिला ने कस्टम, आरबीआई एक्सचेंज, जीएसटी ऑफिसर बनकर पूर्व डीआईजी से 8.17 लाख रुपये की ठगी कर ली. इसी मामले की जांच करते हुए पुलिस ने शनिवार को 7 आरोपियों बदायूं निवासी जाबिर खान उर्फ जैकी (28), प्रशांत सिंह (30) और राजू सिंह उर्फ मच्छू (21), इटावा निवासी देवव्रत प्रताप सिंह (32), बिहार का नालंदा निवासी राहुल कुमार (19), आरा निवासी दीपक कुमार गुप्ता (28) और समस्तीपुर निवासी सुमंत कुमार (24) को गिरफ्तार कर लिया.

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साइबरक्राइम थाना प्रभारी रीता यादव ने बताया कि सभी आरोपी बदायूं के लोगों को नौकरी दिलवाने के नाम पर नोएडा बुलाते थे और उन्हें अपराध में शामिल करते थे. उनका आधार कार्ड लेकर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में फर्जी आईडी से बैंक में खाता खुलवाते थे और नया सिम लेते थे. बैंक खाता नंबर को नाइजीरियन जैक उर्फ आकालेण्डी, जॉन उर्फ उच्चे गेडियन, मैक उर्फ माइकल को मुहैया कराते थे, जिसमें धोखाधडी के रुपये आने पर एटीएम से रुपए निकालकर कमीशन के तौर पर दिल्ली में नाइजीरियन को पहुंचा देते थे. इस प्रकार अब तक लगभग 500 बैंक खाते नाइजीरियन गैंग को उपलब्ध कराए गए हैं. इनके द्वारा लगभग 100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की जा चुकी है.

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