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Mayor Shelly Oberoi ने कहा- तहखंड वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की क्षमता 50 फीसदी बढ़ाई जाएगी

राजधानी के तहखंड स्थित वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की क्षमता 50 फीसदी बढ़ाई जाएगी. इसके जरिए रोजाना तीन हजार मीट्रिक टन कूड़े से बिजली बनेगी. यह बात दिल्ली मेयर शैली ओबरॉय ने प्लांट का निरीक्षण करने के बाद बताई.

capacity of tehkhand waste to energy plant
capacity of tehkhand waste to energy plant

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Published : May 10, 2023, 10:53 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली की मेयर शैली ओबरॉय ने बुधवार को तहखंड में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का निरीक्षण किया. मेयर ने कूड़े को लाने, कंट्रोल रूम, ठोस कचरे से बिजली उत्पादन के पूरे केंद्रीकृत संचालन का अवलोकन किया. इस दौरान उन्होंने प्लांट के ठीक बगल में 32 एकड़ में विकसित किए जा रहे इंजीनियर्ड सेनेटरी लैंडफिल (एसएलएफ) के कार्य की प्रगति का भी जायजा लिया. अधिकारियों ने बताया कि रोजाना लगभग 2 हजार मीट्रिक टन ठोस कचरे को प्लांट में प्रोसेस किया जा रहा है. अब तक कुल 3.27 लाख मीट्रिक टन कूड़े को प्रोसेस किया जा चुका है. इस ऊर्जा संयंत्र के वाणिज्यिक संचालन की शुरुआत के बाद से लगभग 85 मिलियन यूनिट बिजली उत्पन्न हुई है.

इसके बाद मेयर डॉ शैली ओबरॉय ने बताया कि वेस्ट टू एनर्जी प्लांट तहखंड प्लांट की क्षमता को 50 फीसदी बढ़ाने का फैसला लिया गया है. इससे 50 फीसदी अधिक बिजली पैदा होने के साथ 50 फीसदी अधिक कूड़े का निस्तारण भी होगा. अभी रोजाना 2 हजार मीट्रिक टन कूड़े से बिजली बनती है, लेकिन जल्द रोजाना 3 हजार मीट्रिक टन कूड़े से बिजली बनेगी. इसके लिए यहां एक अतिरिक्त बॉयलर लगाया जाएगा.

उन्होंने दिल्ली को जल्द से जल्द कूड़ा मुक्त करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हम दिल्ली को कचरा मुक्त शहर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे. हम दिल्ली को साफ-सफाई में नंबर वन बनाएंगे.

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बता दें, तुगलकाबाद में ओखला लैंडफिल के पास 15 एकड़ भूमि पर 25 मेगावाट तेहखंड वेस्ट टू एनर्जी प्लांट स्थापित किया गया है. लगभग 475 करोड़ रुपये की परियोजना लागत से बने इस संयंत्र ने 26 जनवरी 2023 को अपना व्यावसायिक संचालन शुरू किया था. राजधानी में प्रतिदिन 11 हजार मीट्रिक टन से अधिक कचरा उत्पन्न होता है. इसमें से 8 हजार मीट्रिक टन से अधिक ओखला, नरेला-बवाना, गाजीपुर और तेहखंड में स्थित वेस्ट टू एनर्जी संयंत्रों में जाता है, जिससे बिजली का उत्पादन किया जाता है.

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