नई दिल्लीःअरुण राणा जून 2015 सेगाजियाबाद की जिला कारागार में बंद हैं. जेल जाने से पहले अरुण मेरठ के एक निजी कॉलेज से बीसीए कर रहे थे. जेल में दाखिल होने से पहले उन्हें पेंटिंग और आर्ट में कोई खास रुचि नहीं थी. जेल में एक अन्य बंदी द्वारा स्केच और आर्ट वर्क करता देख अरुण को भी इसमें रुचि होने लगी. फिर धीरे-धीरे अरुण ने भी स्केच और आर्ट बनाना शुरू कर दिया. शुरुआत में अरुण को थोड़ी बहुत मुश्किल आई, लेकिन धीरे-धीरे उनका हाथ साफ होता चला गया. कुछ ही सालों में अरुण विशाल पेंटिंग और स्केच बनाने लगे.
अरुण राणा बताते हैं कि उन्होंने जेल में अब तक 60 से अधिक वॉल पेंटिंग्स बनाई हैं. इसके साथ ही वह कैनवस आर्ट, वॉटर और ऑयल कलर से भी पेंटिंग तैयार करते हैं. इतना ही नहीं अरुण जेल में बंदियों को स्केचिंग सिखाते हैं. बकायदा जेल में वह स्केचिंग की क्लासेज देते हैं. अरुण के मुताबिक में अब तक 100 से अधिक बंदियों को बीते 8 वर्षों में स्केचिंग सिखा चुके हैं. जेल प्रशासन द्वारा अरुण को आर्ट वर्क का सभी सामान मुहैया कराया जाता है.
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग और कालांतर आर्ट फाउंडेशन द्वारा आयोजित की गई प्रतियोगिता में अरुण राणा ने विशेष कान्सोलेशन पुरस्कार हासिल किया है. अरुण राणा अपनी इस उपलब्धि का श्रेय जेल प्रशासन को देते हैं. उनका कहना है कि जेल में मौजूद अधिकारियों की मदद से उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. शुरुआत में अरुण को स्केच पोट्रेट बनाने में 2 से 3 दिन का वक्त लगता था. लेकिन अब वह महज तीन से चार घंटे में स्केच पोट्रेट तैयार कर लेते हैं. हर दिन अपना अधिकतर वक्त अरुण राणा स्केचिंग और ड्राइंग करके बिताते हैं. अरुण को मॉडर्न आर्ट और फाइन आर्ट में ज्यादा रुचि है.