नई दिल्ली/गाजियाबाद :हिंदी कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं. इसे 'रंगभरी एकादशी' के रूप में भी जाना जाता है. इस बार एकादशी तीन मार्च को मनाई जाएगी. एकादशी तिथि का आरंभ 2 मार्च को सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर हो रहा है जो 3 मार्च को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर खत्म होगा और द्वादशी तिथि लगेगी. उदया तिथि होने के चलते आमलकी एकादशी 3 मार्च को मनाई जाएगी. एकादशी व्रत का पारण 3 मार्च की रात्रि या 4 मार्च को कर सकते हैं.
ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार द्वादश विद्धि एकादशी का व्रत करना श्रेष्ठ होता है, इसलिए आमलकी एकादशी का व्रत 3 मार्च को रखा जाएगा. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि एकादशी सठिया गई है. इसका मतलब है कि पहले दिन 24 घंटे एकादशी हो और अगले दिन तक उसका विस्तार तीन मुहूर्त पर्यंत हो तो उसे एकादशी का सठियाना कहते हैं. इसमें दूसरी एकादशी का व्रत रखना वैष्णव और स्मार्त दोनों ही संप्रदाय के लिए शुभ होता है.
आंवले की करते हैं पूजा:आमलकी एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है. इस दिन भगवान विष्णु की "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" के मंत्रोच्चार करते हुए उनके प्रिय आंवले की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. आंवले के पेड़ की परिक्रमा का भी विधान है. अगर आपके आस-पास आंवले का पेड़ नहीं है तो आप भगवान विष्णु को प्रसाद स्वरूप आंवला अर्पित करें और घी का दीपक जलाएं.