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नोएडा: लोन देने के नाम पर करोड़ो की ठगी करने वाले 4 बदमाश गिरफ्तार

ग्रेटर नोएडा पुलिस ने लोन देने के नाम पर ठगी करने वाले गैंग के चार लोगों को गिरफ्तार किया है. वहीं इनके दो साथी फरार हैं. ये लोग सस्ते दरों पर लोने दिलाने का नाम पर लोगों से धोखाधड़ी करते थे. पुलिस इनसे आगे की पूछताछ कर रही है.

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Published : Feb 11, 2023, 10:06 PM IST

एडिशनल डीसीपी विशाल पांडे

नई दिल्ली/नोएडा:ग्रेटर नोएडा में साइबर हेल्पलाइन मुख्यालय गौतम बुद्ध नगर और बिसरख थाना टीम ने संयुक्त रूप से छापेमारी करते हुए शातिर ठगों के गैंग का खुलासा किया है. इस दौरान चार शातिर ठगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने ठगों के कब्जे से 4 डेस्कटॉप, 3 लैपटॉप, 9 स्मार्ट मोबाइल फोन, 14 कीपैड फोन, दो प्रिंटर और कॉलिंग डाटा बरामद किया है. यह लोग एक ऑफिस बनाकर वहीं से लोगों को लोन देने के नाम पर ऑनलाइन ठगी की घटना को अंजाम दे रहे थे. अभी इस गिरोह के 2 सदस्य फरार चल रहे हैं.

यह शातिर ठग आम लोगों को लोने देने के नाम पर कॉल करते थे. उसके बाद उन्हें अपनी बातों में फंसाते थे और धानी ऐप से खुद को बता कर मिनटों में लोन कराने की बात करते थे. उसके बाद फाइल चार्ज के नाम पर उन लोगों से 30 से 35 हजार तक ऐंठते थे. इसी तरह की शिकायत मिलने के बाद साइबर हेल्पलाइन गौतमबुद्ध नगर की टीम इस गिरोह की तलाश में जुट गई. साइबर हेल्पलाइन को पता चला कि बिसरख थाना क्षेत्र के गौर सिटी सेंटर के छठे फ्लोर से यह लोग घटना को अंजाम दे रहे हैं. इसके बाद साइबर टीम और बिसरख थाना पुलिस मौके पर पहुंची और उन्होंने वहां से 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने इस दौरान बिहार निवासी अश्वनी, एटा निवासी बॉबी, बरेली निवासी मोहित और बिहार निवासी पवन को गिरफ्तार किया. इसके कब्जे से लैपटॉप, मोबाइल फोन व अन्य सामान बरामद किया गया है. एक महिला और एक पुरुष इस गिरोह के दोनों सदस्य अभी भी फरार चल रहे हैं, जिनकी पुलिस तलाश कर रही है. यह लोग पिछले एक वर्ष से इस तरह की ठगी को अंजाम दे रहे हैं और हजारों लोगों को अपना निशाना बना चुके हैं. यह अब तक करोड़ों रुपए भी ठगी की घटना को अंजाम दे चुके हैं. पुलिस का कहना है कि अभी इनके पूरे डाटा को खंगाला जा रहा है. उसके बाद ही पता चल पाएगा कि इन्होंने कितने करोड़ रुपए की ठगी की है.

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एडिशनल डीसीपी विशाल पांडे ने बताया कि इस गैंग के लोग खुद को धानी कंपनी का एजेंट बता कर लोगों को लोन देने की बात करते थे. फिर यह पीड़ितों से फाइल चार्ज, वैरीफिकेशन फीस, लीगल चार्ज आदि के नाम पर बैंक खातों में रुपये डलवा लेते थे. इसके बाद यह लोग अपना नंबर बंद कर गायब हो जाते थे

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