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Naraka Chaturdashi 2023: छोटी दीवाली पर क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी ? - 1 नवंबर को नरक चतुर्दशी

कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को नरक चतुर्दशी मनाने का परंपरा रही है. इस बार शनिवार को नरक चतुर्दशी (जिसे छोटी दिवाली भी कहते हैं) मनाई जाएगी. क्या है इसका महत्व और पूजा विधि. Naraka Chaturdashi 2023

11 नवंबर को नरक चतुर्दशी ,छोटी दिवाली
11 नवंबर को नरक चतुर्दशी ,छोटी दिवाली

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 10, 2023, 5:48 PM IST

11 नवंबर को नरक चतुर्दशी ,छोटी दिवाली

नई दिल्ली /गाजियाबाद:कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. इसी दिन छोटी दिवाली का पर्व भी मनाया जाता है. इस बार शनिवार, 11 नवंबर को नरक चतुर्दशी अर्थात छोटी दिवाली मनाई जाएगी. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन मां लक्ष्मी का आगमन होता है. नरक चतुर्दशी का पर्व धनतेरस से एक दिन बाद और दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है. इस दिन शाम को दीपदान करने का विशेष महत्व है. इसे नरक चौदस, रूप चौदस और काली चौदस भी कहा जाता है.

11 नवंबर को मनाई जाएगी नरक चतुर्दशीःआध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक, छोटी दीपावली अर्थात रूप चौदस 11 नवंबर को मनाई जाएगी. यद्यपि 11 नवंबर को प्रातः 13:57 बजे तक त्रयोदशी तिथि रहेगी. उसके पश्चात पूरे दिन चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे नरक चतुर्दशी कहते हैं.

इस दिन शाम को दीपदान का काफी महत्वःइस दिन शाम को दीपदान करने का बहुत महत्व है. छोटी दिवाली को रूप चतुर्दशी भी कहते हैं. इस दिन स्नान करने से पहले अपने शरीर पर उबटन अथवा तेल की मालिश करने का भी विधान है. यह व्यक्ति की सुंदरता बढ़ाता है, इसलिए इसको रूप चतुर्दशी भी कहते हैं.

शुभ मुहूर्त

  1. चतुर्दशी तिथि आरंभ: शनिवार, 11 नवंबर 2023 दोपहर 1:57 PM से शुरू
  2. चतुर्दशी तिथि समाप्त: रविवार, 12 नवंबर 2023 दोपहर 2:44 PM से शुरू

शरीर पर उबटन लगाकर अथवा तेल की मालिश कर स्नान से आरोग्य प्राप्तःशिव कुमार शर्मा के मुताबिक, ऐसा माना जाता है कि आयुर्वेद के नियमों के अनुसार शरीर पर उबटन लगाकर अथवा तेल की मालिश करके स्नान करने से आरोग्य की वृद्धि होती है और शरीर में चमक आ जाती हैं. शरीर पर दिव्य कांति आ जाती है. इस रात्रि हनुमान जी की पूजा भी की जाती है. हनुमान जी को चूरमा अथवा लड्डू का भोग लगाकर आरती की जाती है और उनको सिंदूरदान दिया जाता है. शाम को स्थिर लग्न में ही हनुमान जी का पूजन करना और भोग लगाने का विधान है.

DISCLAIMER : खबर धार्मिक मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है. ईटीवी भारत खबर में दी गई किसी भी जानकारी और मान्यता की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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