नई दिल्ली/गाजियाबाद:भगवान विश्वकर्मा अर्थात विश्वं करोति इति विश्वकर्मा. जिसने इस संसार को बनाया है उसी का नाम विश्वकर्मा है. विश्वकर्मा ब्रह्मा जी का पर्याय शब्द है. सृष्टि के आरंभ में भगवान विश्वकर्मा को इस सृष्टि का प्रथम अभियंता बनाया गया. रावण की सोने की लंका से लेकर खाण्डवप्रस्थ से इंद्रप्रस्थ बनने तक जितने भी विशिष्ट निर्माण हुए हैं. सभी भगवान विश्वकर्मा ने किया है. इस बार 17 सितंबर 2023, दिन रविवार को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाएगी. हिंदू पंचांग के अनुसार, पूरे 50 साल बाद इस दिन दुर्लभ संयोग बन रहा है.
भगवान विश्वकर्मा को मिला था ये दायित्व
ज्योतिषाचार्य और आध्यात्मिक गुरु शिव कुमार शर्मा के मुताबिक सृष्टि के आरंभ में ही भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि निर्माण का दायित्व मिला था. भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर माना जाता है. विश्वकर्मा जयंती पर सभी मशीनों और औजारों की पूजा की जाती है. हर साल विश्वकर्मा जयंती कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है, जिसका सनातन धर्म में विशेष महत्व बताया गया है.
विश्वकर्मा जयंती पर कई दुर्लभ संयोग
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, लगभग 50 साल बाद विश्वकर्मा जयंती पर कई दुर्लभ संयोग का निर्माण हो रहा है. इनमें सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत योग, द्विपुष्कर योग और ब्रह्म योग शामिल हैं. मान्यता है कि ये शुभ योग आपकी हर मनोकामना पूरी कर सकते हैं.
- सर्वार्थ सिद्धि योग – 17 सितंबर 2023, सुबह 06:07 से सुबह 10:02 बजे तक.
- द्विपुष्कर योग – 17 सितंबर 2023, सुबह 10:02 से सुबह 11.08 बजे तक.
- ब्रह्म योग – 17 सितंबर 2023, प्रात:काल 04:13 से 18 सितंबर 2023, प्रात:काल 04:28 बजे तक.
- अमृत सिद्धि योग – 17 सितंबर 2023, सुबह 06:07 से सुबह 10:02 बजे तक.
शिव कुमार शर्मा के मुताबिक ब्रह्म योग ब्रह्मा का ही नाम है और विश्वकर्मा भी ब्रह्मा का नाम है अर्थात यह विश्वकर्मा जयंती विशेष फलदाई है. कहा जाता है कि इस दिन कल पुर्जों ,औजारों, फैक्ट्री की मशीनों की पूजा करने से कल पुर्जे, मशीनरी, औद्योगिक यंत्र, कभी धोखा नहीं देते है. जिन कंपनियों अथवा कारखाने में भगवान विश्वकर्मा की विधि विधान से पूजा होती है. वहां पर कामगारों और श्रमिक वर्ग में हमेशा कार्य कुशलता बढ़ती है. वहां के कर्मकार अपनी निष्ठा से काम करते हैं और कंपनी निरन्तर प्रगति पर बढ़ती है.