नई दिल्ली:राजधानी में साउथ डिस्ट्रिक्ट के साइबर सेल की पुलिस टीम ने साइबर ठगी के एक बिल्कुल ही नए तरीके का खुलासा करते हुए दो ठगों को गिरफ्तार किया है. ये ठग एटीएम से पैसे निकालने पहुंचे लोगों के एटीएम कार्ड को, एटीएम मशीन के कार्ड स्लॉट में फेवीक्विक डालकर अटका देते थे, जिसके बाद ये उन्हें एटीएम में चिपके कागज पर लिखे सिक्योरिटी गार्ड के नंबर पर कॉल कर उसे इसकी सूचना देने के लिए कहते थे और झांसा देकर उनका पिन जान लेते थे. इसके बाद वह एटीएम से उनका कार्ड निकाल कर उनके खाते से निकाल लेते (cheating by trapping cards in ATM in delhi) थे.
डीसीपी चंदन चौधरी के अनुसार, इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों की पहचान, महावीर विष्णु और अजहरुद्दीन के रूप में हुई है. ये दोनों हरियाणा के फरीदाबाद और दिल्ली के कालकाजी इलाके के रहने वाले हैं. आरोपियों के पास से 3 मोबाइल फोन और वारदात में इस्तेमाल किया जाने वाला औजार, स्क्रू ड्राइवर, प्लायर और फेवीक्विक बरामद किया गया है.
डीसीपी ने बताया कि, 10 सितंबर को मालवीय नगर इलाके की रहने वाली एक महिला शिकायतकर्ता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें महिला ने बताया था कि वह मालवीय नगर के गुरुद्वारा रोड स्थित एटीएम से पैसे निकालने गई थी जहां एटीएम में उनका कार्ड फंस गया. तभी 2 शख्स अंदर आए और उनसे मदद करने के बारे में पूछते हुए उन्हें वहां एक साईड में चिपके स्लीप पर लिखे सिक्योरिटी गार्ड को कॉल करने को कहा. इसके बाद उनमें से एक शख्स वहां से बाहर निकल गया.
इसके बाद नंबर पर कॉल अटेंड वाले व्यक्ति ने उनसे कहा कि अपना एटीएम पिन फिर से डालने पर कार्ड निकल आएगा. इस पर उन्होंने अपना पिन डाला, जिसे वहां मौजूद शख्स ने देख लिया. जब कार्ड नहीं निकला तो कॉल अटेंड करने वाले ने कहा कि आप घर लौट जाइए, जब टेक्नीशियन आएगा तो कार्ड निकालने के बाद कॉल कर के वह उन्हें कार्ड लौटा देगा, जिसके बाद वह घर लौट आईं. कुछ देर के बाद उनके डेबिट कार्ड का इस्तेमाल कर ठगों ने उनके खाते से 90 हजार रुपये निकाल लिए.
शिकायत के आधार पर साइबर सेल में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई. इसके लिए एसीपी ऑपरेशन राजेश कुमार की देखरेख में एसएचओ साइबर सेल अरुण कुमार वर्मा के नेतृत्व में एसआई सुनील यादव, विकास सांगवान और अन्य की टीम का गठन किया गया. जांच के दौरान पुलिस ने घटनास्थल और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेजों को हासिल कर उसकी जांच की, साथ ही टेक्निकल सर्विलांस की सहायता से मोबाइल नंबर डिटेल का भी विश्लेषण किया. इससे मिली जानकारियों के आधार पर पुलिस ने सूत्रों को सक्रिय किया.