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दिल्ली सरकार की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है- हीनू महाजन - दिल्ली सरकारी कोरोना प्लान

सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट हीनू महाजन का कहना है कि अगर दिल्ली सरकार के सभी अस्पतालों को जोड़ दिया जाए. तो वहां 10 हजार से भी कम बेड हैं. ऐसे में एक आम आदमी कहां जाए जबकि दिल्ली के निजी अस्पतालों में जाओ, तो वो 2 से 4 लाख रुपया जमा करने को कहते हैं.

supreme court advocate Henu mahajan
हीनू महाजन

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Published : Jun 24, 2020, 12:54 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट हीनू महाजन ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर दिल्ली सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाये हैं. उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के मुताबिक जुलाई के अंत तक दिल्ली में कोरोना के 5 लाख मामले हो जाएंगे. ये सोच कर बहुत डर लगता है कि दिल्ली में 5 लाख कोरोना के मरीज होंगे.

सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट ने उठाया सवाल

'गरीब निजी अस्पताल का खर्च कैसे उठाएंगे?'

उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली सरकार के सभी अस्पतालों को जोड़ दिया जाए तो वहां 10 हजार से भी कम बेड हैं. ऐसे में एक आम आदमी कहां जाए जबकि दिल्ली के निजी अस्पतालों में जाओ तो वो 2 से 4 लाख रुपया जमा करने को कहते हैं. एक गरीब आदमी इतनी रकम कहां से लाएगा. हीनू महाजन ने कहा कि ऐसी भयावक स्थिति में क्या दिल्ली सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है.

'केजरीवाल सरकार पूरा करे चुनावी वादा'

उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले सरकार ने बड़े जोर से इस बात का प्रचार किया कि यदि किसी को सरकारी हस्पताल मे इलाज नहीं मिल रहा हो तो वो निजी हस्पताल में जाकर इलाज करवा सकता है.

जिसका पूरा खर्च दिल्ली सरकार देगी. उन्होंने कहा कि वो सीएम केजरीवाल जी से पूछना चाहती हैं कि अब ऐसे हालात में जब बेड्स नहीं है. क्या गरीब आदमी अपना इलाज निजी हस्पताल में जाकर करवा सकता है या फिर वो जुमला सिर्फ चुनाव जीतने के लिए ही था.

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