नई दिल्ली/गाजियाबाद:सनातन धर्म प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शनिवार को पड़ने वाले व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहते हैं. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रियोदशी तिथि (शनिवार) 1 जुलाई, 2023 को है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है. शनि प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति के निमित्त किया जाने वाला व्रत है. संतान प्राप्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत सर्वोत्तम माना गया है.
महत्व:शनि प्रदोष व्रत को लेकर मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा अर्चना करने और व्रत करने से जीवन में कष्टों और पापों से मुक्ति मिलती है. शनि प्रदोष व्रत करने से दो गायों के दान करने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है. इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति की भी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है.
पूजा विधि:प्रदोष व्रत के दिन सुबह सूर्य उदय से पहले उठें. उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहने और बुध प्रदोष व्रत का संकल्प लें. घर के मंदिर को साफ करें और फिर भगवान शिव का जलाभिषेक करें. ध्यान रखें कि प्रदोष व्रत के दौरान शाम की पूजा का विशेष महत्व होता है. प्रदोष व्रत के दिन शाम की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
पूजा का मुहूर्त:
- पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 1 जुलाई 2023 को 01:16 AM से शुरू हो रही है.
- त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 1 जुलाई 2023 को रात 11 बजकर 07 मिनट पर होगी.
- शनि प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त शाम 07:23 PM - रात 09:24 PM ( 1 जुलाई 2023)