नई दिल्ली:शाहबाद डेयरी में नाबालिग लड़की की हत्या के मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस को आरोपी साहिल खान ने गुमराह कर रहा है. आरोपी ने अभी तक पुलिस को यह नहीं बताया है कि उसने हत्या में इस्तेमाल किया चाकू कहां छुपाया है. पुलिस चाकू की तलाश में उसे लेकर कई जगह जा चुकी है. पुलिस का कहना है कि इससे यह साबित होता है कि साहिल कितना शातिर है. दरअसल, हत्या में प्रयुक्त हथियार किसी भी मामले में जांच का अहम साक्ष्य होता है. उसके न मिलने पर केस कमजोर होने की आशंका रहती है.
चाकू ना मिले तो भी पर्याप्त सबूत:कानून के जानकारों का कहना है कि आपराधिक मामलों मेंवारदात में प्रयोग किया गया हथियार अहम साक्ष्यहोता है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हथियार के बिना आरोपी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता जूही अरोड़ा ने बताया कि शाहबाद डेरी मामले में इतने चश्मदीद गवाह हैं कि चाकू न मिले तो भी आरोपी बच नहीं पाएगा. उन्होंने बताया कि सबसे अहम सबूत सीसीटीवी कैमरे की फुटेज है. यह इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस है, जिसे किसी भी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है.
दर्जन भर से ज्यादा चश्मदीद गवाह: जूही अरोड़ा ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज के अलावा हत्या में प्रयोग किया गया पत्थर पुलिस ने बरामद कर लिया है. उस पर भी खून के निशान मिले हैं. यह भी अहम साक्ष्य माना जाएगा. ऐसे बहुत से मामलों में आरोपियों को कोर्ट ने दोषी करार दिया है, जिनमें हत्या में प्रयुक्त हथियार बरामद नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि वारदात में प्रयुक्त हथियार नहीं मिलता है, लेकिन यदि अभियोजन पक्ष के पास सीसीटीवी कैमरे की फुटेज और चश्मदीद गवाह हैं, तो उनके आधार पर दोष साबित किया जा सकता है.
फास्ट ट्रैक कोर्ट में दिया जाना चाहिए मामला: अरोड़ा ने बताया कि इस तरह के जघन्य अपराध के मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुना जाना चाहिए. बिहार में पोक्सो के एक मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 1 दिन के अंदर पूरी सुनवाई करके आरोपी को सजा सुना दी थी. हालांकि, फास्ट ट्रैक कोर्ट में औसतन 122 दिन में ट्रायल पूरा किया जा सकता है. कई मामले ऐसे भी आए हैं, जहां साढ़े 3 माह से लेकर और 1 साल के अंदर तक ट्रायल पूरा कर लिया गया है.