नई दिल्ली:सीबीआई ने सफदरजंग अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ मनीष रावत एवं छह अन्य के खिलाफ चार्जशीट दायर की है, जिन्हें मरीजों के इलाज में तेजी लाने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जांच में खुलासा हुआ है कि रावत ने कथित तौर पर पिछले दो साल में मरीजों से 2.5 करोड़ रुपये से 3 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की और इसे अपनी पत्नी की शेल कंपनियों में निवेश किया. सीबीआई ने 30 मार्च को डॉ. रावत और उसके चार सहयोगियों, कनिष्क सर्जिकल के प्रोपराइटर दीपक खट्टर और बिचौलियों अवनीश पटेल, मनीष शर्मा और कुलदीप कुमार को रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया था.
बाद में सीबीआई ने खट्टर के दो और साझेदारों को तलब किया और उन्हें अपने आरोप पत्र में आरोपी बनाया. पटेल, रावत के लिए काम कर रहा था, जबकि शर्मा और कुमार खट्टर के लिए काम करते थे. जांच के बाद राउज एवेन्यू कोर्ट में जांच अधिकारी अनिल कुमार द्वारा पांच हजार से अधिक पृष्ठों की चार्जशीट दायर की गई थी. जांच में पता चला कि रावत ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर प्रत्यारोपण की लागत के नाम पर मरीजों से अवैध धन प्राप्त करने की साजिश रची. एक सूत्र ने चार्जशीट का हवाला देते हुए कहा कि जांच में यह भी पाया गया है कि आरोपी ने पिछले दो साल में मरीजों से 2.5 करोड़ से 3 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की थी. सूत्र ने दावा किया कि उसने अवैध धन को बाद में अपनी पत्नी की शेल कंपनियों में निवेश किया था.