नई दिल्ली:रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. इस दिन बहनें भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं. हालांकि इस वर्ष रक्षाबंधन की तिथि को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है. पंचांग के अनुसार, 30 अगस्त को चतुर्दशी प्रातः 10:58 बजे तक है. उसके पश्चात पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जाएगी, लेकिन उसी समय भद्रा लग जाएगी, जो रात्रि 9:01 बजे तक रहेगी, क्योंकि इस बार भद्रा का वास पृथ्वी पर ही है. ऐसे में 30 अगस्त को रात्रि 9:01 बजे के बाद से 31 अगस्त प्रातः 7:30 बजे तक पूर्णिमा रहेगी.
आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक शास्त्रों में उल्लेख है कि सूर्य उदय के पश्चात तिथि चाहे कोई भी हो. उसी दिन व्रत के पूजा, यज्ञ अनुष्ठान, स्नान और दान के लिए संपूर्ण दिन में पुण्य फल प्रदान करना माना गया है. लौकिक व्यवहार में रक्षाविधान हमेशा उदया तिथि में सुबह के व्रत समय दिन में होता रहा है. बता दें, रामनवमी, दुर्गाष्टमी, एकादशी, गुरुपूर्णिमा, रक्षाबंधन, भाईदूज, भ्रातृद्वितीया आदि का कर्मकाल दिन में पड़ता है, इसलिए इन्हें दिनव्रत के नाम से जाना जाता है. दिनव्रत के लिए केवल उदया तिथि (साकल्यापादिता तिथि) ली जाती है.
सूर्योदय वाली तिथि श्रेष्ठ:यद्यपि शुद्धम् लोक विरुद्धम् न चलयति न चलयति!!जब दिन में शुभता मिल रही हो तो रात्रि का यथा सम्भव त्याग करना चाहिए. अर्थात् कोई तिथि दो दिन मिल रही, एक रात्रि में और दूसरी दिन में सूर्योदय के समय तो उसमें सूर्योदय वाली तिथि श्रेष्ठ मानी जाती है. ऐसा कोई भी कारण नहीं होना चाहिए कि दिन की शुभ तिथि को त्यागकर रात्रि तिथि ग्रहण करें.
बता दें, इस वर्ष पंचांगों में रक्षाबंधन 30 अगस्त बुधवार का लगाया है. श्रावण की पूर्णिमा दिनांक 30 अगस्त दिन में 10 बजकर 58 मिनट से प्रारंभ होगी. उससे पूर्व चतुर्दशी वर्तमान रहेगी. रक्षाबंधन चतुर्दशी में नहीं मनाया जाता है. अतः 10:58 बजे से पूर्व तो रक्षाबंधन हो ही नहीं सकता है. दिन में 10:58 के पश्चात् जैसे ही पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी, उसी के साथ भद्रा भी प्रारंभ हो जाएगी. भद्रा की समाप्ति रात्रि 9 बजकर 1 मिनट तक रहेगी.
अतः इस वर्ष रक्षाबंधन का शुभ मुहुर्त्त 30 अगस्त को रात्रि 9:01 बजे के बाद का ही रहेगा. 31 अगस्त को सुबह पूर्णिमा तिथि 7:05 बजे तक रहेगी. इसलिए रक्षाबंधन का त्योहार 31 अगस्त को उदय कालीन तिथि प्रात: काल में इस बार मनाना शुभ है. रात्रि काल में इस त्योहार को मनाना नियम विरुद्ध रहेगा.