नई दिल्ली:भारत ने आबादी के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है. जाहिर है बढ़ती हुई आबादी का दबाव सड़क और परिवहन के क्षेत्र में भी नजर आएगा. इसलिए सरकारों को इस चुनौती का सामना करने के लिए भी तैयार रहना होगा. ऐस में अगर दिल्ली की बात करें तो, यहां रहने वाली करीब दो करोड़ की आबादी के लिए सस्ती, सुलभ और सुचारू परिवहन व्यवस्था और सड़क का इंतजाम करना दिल्ली सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा. इसलिए इस चुनौती का सामना करने के लिए आम लोगों को भी सिविक एजेंसियों का सहयोग करना होगा.
सीआरआरआई के ट्रैफिक इंजीनियरिंग एंड सेफ्टी डिविजन के हेड एवं चीफ साइंटिस्ट डॉ. एस वेलमुरूगन का कहना है कि देश की आबादी बढ़ी है, तो जाहिर है कि वाहनों की संख्या भी बढ़ेगी. अब लोग थोड़ी-थोड़ी दूरी के लिए भी अपने वाहनों का इस्तेमाल करते हैं. इससे सड़क पर कंजेशन बढ़ता ही है. साथ ही वायु एवं ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ता है. ऐसे में अब सरकार के सामने निजी वाहनों के अत्यधिक इस्तेमाल को रोकना बड़ी चुनौती होगी.
सार्वजनिक परिवहन सेवाओं का इस्तेमाल करना जरूरी: सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को सुधार कर लोगों को इसके लिए प्रेरित किया जा सकता है. अगर सरकार ने इस चुनौती को अच्छे से हैंडल कर लिया तो सड़क हादसे, रोड पर ट्रैफिक कंजेशन, ध्वनि एवं वायु प्रदूषण की समस्याओं को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है. समझने वाली बात है कि वाहनों की आबादी बढ़ने से रोका नहीं जा सकता है और इसे रोकना देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी ठीक नहीं होगा. इसलिए जरूरत है कि लोग निजी वाहन का इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से करें. जहां तक संभव हो सार्वजनिक परिवहन सेवाओं जैसे बस, मेट्रो, ऑटो आदि का ही इस्तेमाल करें.
चीन में वाहनों की संख्या भारत से 3 गुना ज्यादा: डॉ वेलमुरूगन ने बताया कि आज भारत की आबादी भले ही चीन से ज्यादा हो गई है, लेकिन चीन में वाहनों की संख्या भारत से 3 गुना ज्यादा है. आज भारत में 90 वाहन प्रति हजार व्यक्ति हैं. वहीं कार का अनुपात 30 कार प्रति हजार आबादी है. उन्होंने बताया कि आज दिल्ली में 15 से 20 % लोग मेट्रो सेवा का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन मेट्रो से उतरकर लास्ट माइल कनेक्टिविटी के रूप में मेट्रो फीडर बस सेवा का इस्तेमाल इनमें से 1% लोग भी नहीं करते हैं. मेट्रो की इलेक्ट्रिक फीडर बस सेवा का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. दिल्ली सरकार ने महिलाओं के लिए बस फ्री की तो महिलाओं ने अधिक संख्या में बसे चलना शुरू किया. पुरुषों के लिए कोई ऑफर या सस्ती योजना लागू की जाए तो डीटीसी बसों में चलने वालों की संख्या भी बढ़ेगी.
दिल्ली में डीटीसी और क्लस्टर बसों की संख्या करीब 7000 है. बसों की संख्या भी बढ़ाई जाने की जरूरत है. कोरोना के दौरान संक्रमण फैलने के डर से बहुत से लोगों ने सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल बंद कर निजी वाहन का इस्तेमाल शुरू कर दिया था. ऐसे लोगों को फिर से सार्वजनिक परिवहन सेवा का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.