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Pollution in Delhi NCR: प्रदूषण के स्तर में फिर बढ़ोतरी, Red Zone कैटेगरी में AQI

दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. मंगलवार को भी अधिकतर इलाकों में प्रदूषण का स्तर रेड जोन में दर्ज किया गया है. दिल्ली का सबसे प्रदूषित इलाका आईटीओ दिल्ली में दर्ज किया गया है, जहां का एक्यूआई 450 के स्तर पर पहुंच गया है.

Pollution in Delhi NCR
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Published : Feb 7, 2023, 10:35 AM IST

नई दिल्ली: मंगलवार को दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण स्तर में एक बार फिर से बढ़ोतरी देखी गई है. दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर रेड जोन और ऑरेंज जोन में दर्ज किया गया है. वहीं गाजियाबाद और नोएडा में प्रदूषण स्तर में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली है, लेकिन फिर भी दोनों इलाकों का प्रदूषण स्तर 200 AQI के पार दर्ज किया गया है.

दिल्ली के इलाके वायु प्रदूषण स्तर
अलीपुर 339
शादीपुर 320
डीटीयू दिल्ली 293
आईटीओ दिल्ली 450
सिरिफ्फोर्ट 286
मंदिर मार्ग 264
आरके पुरम 269
पंजाबी बाग 274
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम 262
नेहरू नगर 309
द्वारका सेक्टर 8 260
पटपड़गंज 324
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज 272
अशोक विहार 315
सोनिया विहार 346
जहांगीरपुरी 334
रोहिणी 296
विवेक विहार 334
नजफगढ़ 225
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 320
नरेला 336
ओखला फेज 2 295
मुंडका 300
श्री औरबिंदो मार्ग 232
बवाना 333
आनंद विहार 340
IHBAS दिलशाद गार्डन 242

गाजियाबाद के इलाकों में प्रदूषण का स्तर-

गाजियाबाद के इलाके वायु प्रदूषण स्तर
वसुंधरा 281
इंदिरापुरम 204
संजय नगर 217
लोनी 318

नोएडा के इलाकों में प्रदूषण का स्तर-

नोएडा के इलाके वायु प्रदूषण स्तर
सेक्टर 62 280
सेक्टर 125 202
सेक्टर 1 234
सेक्टर 116 243

Air quality Index की श्रेणी:एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

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(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी: वरिष्ठ सर्जन डॉ. बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुंच जाते हैं.

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Sinusitis और Bronchitis का खतरा: डॉ. त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में इकट्ठा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.

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