नई दिल्ली: जब कभी घूमने-फिरने की बात आती है, तो घर में बच्चे सबसे पहले झटपट जूते और कपड़े पहन कर तैयार हो जाते हैं. छोटे बच्चे तो जल्दी तैयार करने की जिद्द करने लगते हैं. इस दौरान बच्चों के साथ बड़ों में भी गजब का रोमांच होता है. आज हम आप को एक ऐसे म्यूजियम के बारे में बताएंगे, जो पूरी तरह से वातानुकूलित है. मतलब आप घूम भी लेंगे और गर्मी का आभास भी नहीं होगा. यह है अंतरराष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय. यह संग्रहालय बहादुर शाह जफर मार्ग पर तब से स्थित है जब पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे. इसकी स्थापना मशहूर कार्टूनिस्ट के. शंकर पिल्लई ने की थी, जो गुड़ियों के संग्रहकर्ता थे.
आज विश्व संग्रहालय दिवस पर अंतरराष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय में यहां घूमे आने वाले सभी विजीटर्स का प्रवेश निशुल्क रखा गया है. यह आदेश चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट के मैनेजमेंट द्वारा जारी किया गया है. यह संग्रहालय खास तौर पर छोटे बच्चों के घूमने के लिए अच्छी जगह है. इसमें दुनिया भर की तमाम डॉल्स को देखा जा सकता है.
यहां घूमने आए बच्चों ने बताया कि उनको बहुत अच्छा लगा. उन्होंने इतनी डॉल्स को कभी एक साथ नहीं देखा. वो डॉल म्यूजियम का अनुभव दोस्तों और परिवारवालों के साथ शेयर करेंगे. अभी तक फैमिली और रिश्तेदारों से डॉल म्यूजियम के बारे में सुना था. आज देखा और समझा है.
अंतरराष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालयःशंकर अंतरराष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय में आपको पूरी दुनिया की डॉल देखने को मिलेंगी. इनकी बनावट और परिधान से संस्कृति की झलक दिखाई देती है. इसकी स्थापना प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट के. शंकर पिल्लई (1902-1989) ने 30 नवंबर 1965 को की थी. 5184.5 वर्ग फुट आकार वाले इस म्यूजियम में 1,000 फीट की लंबाई में दीवारों पर 160 से अधिक कांच केस बनाए गए हैं.
म्यूजियम में वर्तमान समय में 85 देशों की 7,500 गुड़ियां हैं. संग्रहालय के दो हिस्सों में गुड़िया रखी गई हैं. पहले हिस्से में अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और राष्ट्र मंडल देशों की गुड़ियां मौजूद हैं. दूसरे हिस्से में मध्यपूर्व, अफ्रीका और एशियाई देशों की गुड़िया रखी गई है. इन गुड़ियों की सजावट देखते ही बनती है. हाल ही में पेरू देश की डॉल को भी यहां सजाया गया है.
डॉल्स म्यूजियम का रोचक इतिहासःडॉल्स म्यूजियम के स्थापना का इतिहास बहुत ही रोचक है. देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जब विदेश दौरे पर जाते थे, तब अक्सर उनके साथ उनके दल के सदस्य के रूप में प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट के. शंकर पिल्लई भी जाते थे. वो जिस भी देश में जाते थे, वहां की डॉल लेकर आते थे. इस तरह से कुछ समय बाद उनके पास 500 तरह की गुड़ियां एकत्र हो गईं. के. शंकर पिल्लई चाहते थे कि इन गुड़ियों को देशभर के बच्चे देखें और इनके बारे में जान सकें. इसी विचार के तहत वो अलग-अलग स्थानों पर अपने कार्टून के साथ-साथ गुड़ियों की भी प्रदर्शनी लगाने लगे.
एक बार उनकी प्रदर्शनी देखने जवाहरलाल नेहरू अपनी बेटी इंदिरा गांधी के साथ पहुंचे. नेहरू और इंदिरा गांधी को यह प्रदर्शनी बहुत पसंद आई. उसी समय के. शंकर पिल्लई ने अपनी परेशानी जवाहरलाल नेहरू के सामने रखी. उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी के लिए जगह-जगह ले जाने से गुड़ियों के टूटने का डर रहता है. इस पर नेहरू ने इन गुड़ियों के लिए एक निश्चित घर बनवाने का भरोसा दिया. इसके बाद चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट अस्तित्व में आया.