नई दिल्लीःदिल्ली नगर निगम (एमसीडी) आए दिन अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करता है, लेकिन यह कार्रवाई खानापूर्ति ही नजर आती है. दरअसल कार्रवाई होने के बाद फिर से अतिक्रमण अपनी पूर्व की स्थिति में आ जाता है. आजकल जी-20 सम्मेलन के चलते दिल्ली में होने वाली बैठकों लेकर एमसीडी द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है, लेकिन, विवेकानंद अंतराज्यीय बस अड्डा के बाहर रेहड़ी पटरी वालों के अतिक्रमण से मुख्य सड़क का बुरा हाल है.
यहां करीब 200 रेहड़ी पटरी वाले खाने का सामान, कपड़े और जूते-चप्पल बेचने की दुकानें चला रहे हैं. फुटपाथ पर इनके कब्जे के चलते पैदल यात्री मुख्य सड़क पर चलने को मजबूर हैं. जिससे उनके साथ हादसा होने का खतरा लगातार बना रहता है. वहीं, अंतरराज्यीय बस अड्डा होने के कारण यहां बड़ी संख्या में यात्री आते हैं, उनको भारी परेशानी होती है. आलम ये होता है किअतिक्रमण के चलते यात्रियों को खड़े होने तक के लिए जगह नहीं बचती है.
निगम अधिकारी नहीं उठा रहे फोन:आनंद विहार बस अड्डे से रोड के उस पार (गाजियाबाद) की ओर स्थित कौशांबी बस अड्डे को जोड़ने वाले फुट ओवर ब्रिज पर भी रेहड़ी पटरी वालों का कब्जा है. जिससे आधा फुट ओवर ब्रिज इन दुकानों से ही घिर जाता है. जिससे यात्रियों के चलने के लिए काफी कम जगह बचती है. अतिक्रमण की समस्या पर निगम अधिकारियों का पक्ष जानने के लिए शाहदरा दक्षिण क्षेत्र की निगम उपायुक्त वंदना राव और निगम के जनसंपर्क अधिकारी अमित कुमार से फोन और मैसेज के माध्यम से संपर्क किया गया, लेकिन, उनका कोई जवाब नहीं आया.
अवैध पार्किंग करने वालों का रोड पर कब्जा:आनंद विहार बस अड्डे के बाहर बड़ी संख्या में फुटपाथ के आगे मुख्य सड़क पर ही ऑटो, ईको और मैजिक जैसे वाहनों का कब्जा रहता है. इनके खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर ट्रैफिक पुलिस भी बेखबर रहती है. इसको लेकर ट्रैफिक पुलिस ने कभी सख्त अभियान नहीं चलाया है. डग्गेमार वाहन चालक निर्धारित मानक से अधिक सवारी भरकर यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए खुलेआम वाहन दौड़ाते हैं. इनमें से अधिकांश वाहनों की फिटनेस भी नहीं होती है.
डीसीपी ट्रैफिक इस्टर्न रेंज ने बताया कि यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले सभी वाहनों के खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई की जाती है. इनके चालान भी काटे जाते हैं और कुछ वाहनों को जब्त भी किया जाता है. अवैध पार्किंग करने वाले वाहनों के खिलाफ आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी.
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