Ramlila in Ghaziabad: यहां 123 वर्ष पुराना है रामलीला का इतिहास, जानिए कैसे पड़ी मंचन की नींव
गाजियाबाद में सबसे पुरानी रामलीला घंटाघर में मनाई जाती है. 1900 से उस्ताद सुल्लामल ने अपने शागिर्दों के साथ इसकी शुरुआत की थी. इस साल घंटाघर रामलीला मैदान में 123वां रामलीला का मंचन किया जा रहा है. शहर की प्राचीन रामलीला होने के कारण यह गाजियाबाद की संस्कृति को दर्शाती है.
Published : Oct 19, 2023, 2:41 PM IST
|Updated : Oct 19, 2023, 4:13 PM IST
नई दिल्ली/गाजियाबाद:दिल्ली से सटे गाजियाबाद की घंटाघर रामलीला मैदान में आयोजित सुल्लामल रामलीला दिल्ली एनसीआर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सबसे पुरानी रामलीलाओं में से एक है. रामलीला का मंचन अंग्रेजों के जमाने से होता आ रहा है. 1900 से यहां रामलीला का मंचन हो रहा है. इसकी शुरुआत उस्ताद सुल्लामल ने की थी. रामलीला जब शुरू हुई थी तो इसका मंचन उस्ताद सुल्लामल अपने शागिर्दों के साथ करते थे, लेकिन मॉडर्न दौड़ में अब रामलीला मंचन की जिम्मेदारी नीरा बक्शी संभालती हैं.
दिल्ली के रहने वाली नीरा बक्शी पेशे से आरजे (रेडियो जॉकी) हैं. 2019 से बक्शी सुल्लामल रामलीला का निर्देशन करती आ रही है. जो कोई भी सुनता है कि एनसीआर की सबसे बड़ी माने जाने वाली रामलीला का निर्देशन एक महिला कर रही है तो वह चौक जाता है. सुल्लामल रामलीला में मंचन के दौरान तकरीबन 70 कलाकार परफॉर्म करते हैं. बख्शी केवल मंचन ही नहीं बल्कि मंचन से जुड़े अन्य कामों की भी बागडोर संभालती हैं. लाइट्स, साउंड, मेकअप समेत अन्य टीमों के बीच कोऑर्डिनेशन बैठने से लेकर राम बारात और झांकियां के लिए आर्टिस्ट को तैयार करने की जिम्मेदारी भी नीरा बक्शी के कंधों पर है.