नई दिल्ली/गाजियाबाद : मानव जीवन जो मूलरूप से चार भागों में बंटा हुआ है बचपन, किशोरावस्था, जवानी और बुढ़ापा. अगर किसी से भी इन चार अवस्थाओं के सबसे बुरी अवस्था के बारे में पूछा जाए तो वो कहेंगे बुढ़ापा. बुढ़ापा इसलिए बुरी कही जाएगी क्योंकि आम तौर पर इस अवस्था में शरीर थकने लगता है और इंसान इस समय अपनों को बीच में रहना चाहता है ताकि उसकी मानसिक, शारीरिक और आर्थिक किसी तरह के सहारे की जरूरत हो तो वो उसे मिल पाए लेकिन विडंबना देखिए आज के भौतिकवादी दौर में जब इंसान पैसे और समाजिक पहचान के पीछे भाग रहा है और सभी को अपनी पहचान बनानी है ऐसे में बच्चे अपने मां बाप को अपनी उड़ान के रास्ते की बाधा महसूस कराने लगते है तो मां बाप भी मजबूरी में एक ऐसे आशियाने की तलाश में निकल पड़ते है जो उनके अकेलेपन और शारीरिक परेशानियों में उनका सहयोग कर सके और बुढ़ापे के इसी जरूरत को पूरा करने का इन दिनों जरिया बन गया है ओल्ड एज होमया फिर वृद्धाश्रम.
गाजियाबाद में भी एक ऐसी ही बुजुर्गों को सुकून देने वाली जगह बना है आवासीय वृद्धाश्रम दुहाई. जहां करीब 120 बुजुर्ग रहते है .यहां के बुजुर्गों से मिलने और बात करने पर हमें पता चला कि वो भले ही जिस परिस्थिति में अपने घरवालों से अलग हुए हों लेकिन यहां आकर वो काफी खुश हैं .कस्तूरी सक्सेना तकरीबन पांच साल से दुहाई स्थित आश्रम में रह रही हैं.ये आश्रम में रहने वाली सबसे अधिक उम्र की बुजुर्ग महिला है ,छह बच्चों के बाद भी यहां रहना भले मजबूरी हो लेकिन फिर भी हालात से समझौता कर खुश है तो वहीं धर्मराज सिंह तकरीबन 6 साल से यहां रह रहे है और इसे अपना घर मानते हैं.
वहीं, इन्हें इस तरह का खुशनुमा महौल देने वाली आश्रम की अधीक्षका इंद्रेश भी इन सभी 120 माता-पिता के साथ इतनी खुश है कि अपने परिवार से ज्याद वक्त वो इन्हें देती है और ये सभी वृद्धजन इन पर अपने बच्चों के हिस्से का भी प्यार लुटाते हैं.