नई दिल्ली:राजधानी दिल्ली के असोला भाटी वन्यजीव अभ्यारण्य में तेंदुओं की संख्या बढ़ रही है. अरावली पर्वत श्रृंखला के तहत आने वाले असोला भाटी अभ्यारण्य की जैव विविधता पर काम कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) ने 16 हजार फोटो सैंपल के साथ जारी सर्वे रिपोर्ट में दावा किया है. असोला भाटी में मौजूद तेंदुओं की औसत संख्या मध्य प्रदेश, राजस्थान और जम्मू कश्मीर के रिजर्व फारेस्ट से भी ज्यादा है.
यह सर्वे बीएनएचएस के शोधार्थियों सोहेल मदान, आलोक कुमार, गीता यादव और सुमित डूकिया ने तैयार की है. जून 2021 से जून 2022 तक के दौरान किए गए इस सर्वे में असोला भाटी वन्य जीव अभयारण्य के साथ ही फरीदाबाद के पाली, संजय कालोनी के साथ लगे जंगल और अलावा गुरुग्राम फरीदाबाद हाइवे के आसपास के क्षेत्र को शामिल किया गया है. इन इलाकों में लोगों का आना जाना रहता है. इन हिस्सों में 21 जगहों पर कैमरे लगाए गए थे, जिनमें से 11 जगहों पर तेंदुए की उपस्थिति देखी गई है. जहां तेंदुए दिखे हैं वहां पर स्कैट और लकड़बग्घे भी देखे गए हैं.
लकड़बग्घे भी बड़ी सांख्य में मौजूद:सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, अरावली में खाद्य श्रृंंखला में सबसे ऊपर तेंदुआ और दूसरे नंबर पर लकड़बग्घे हैं. अरावली में ये भी बड़ी संख्या में हैं. जंगल में मरे जानवरों या फिर तेंदुओं का शिकार बने जानवरों के अवशेष को खाकर खतम करने लकड़बग्घे सहायक होते हैं.
असोला में मौजूद हैं यह जानवर:असोला में जंगली बिल्ली, कुत्ते, घरेलू बिल्ली, गाय, भैंस, बकरी, चित्तीदार हिरण, काला हिरण, सांभर हिरण, सिवेट की दो प्रजातियां, सुनहरा सियार, खरगोश, सुअर, नीलगाय, नेवले की तीन प्रजातियां, हॉग हिरण, रीसस बंदर, भारतीय क्रेस्टेड साही, सुअर और बकरों की प्रजातियां भी कैमरों में दर्ज की गई हैं. घने जंगलों में भी इंसानी उपस्थिति कैमरों में रिकार्ड हुई है.