नई दिल्ली: सूचना प्रौद्योगिकी की तकनीक ने लोगों के बहुत सारे काम आसान कर दिए हैं. लेकिन यह तकनीक लोगों के लिए फायदेमंद होने के साथ ही नुकसानदायक भी साबित हो रही है. साइबर ठग बड़ी संख्या में लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं और आए दिन लाखों-करोड़ों रुपये का चूना लगा रहे हैं. विभिन्न प्रकार के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर साइबर ठगों की सक्रियता के चलते जरा सी गलती करने पर लोग ठगी के शिकार बन जाते हैं. ऐसे मामलों में पुलिस की ओर से तभी सक्रिय रूप से कार्रवाई की जाती है, जब मामला हाई प्रोफाइल होता है.
साइबर ठग पासवर्ड हैक करके, लोगों को ओटीपी या कोई लिंक भेजकर उस पर पेमेंट करने के लिए कहते हैं. अगर व्यक्ति द्वारा ऐसा किया जाता है तो ये ठग उसके खाते से रकम निकाल लेते हैं. राजधानी में ऐसे मामले लगातार सामने आते रहते हैं, लेकिन ठोस सबूतों के आभाव के कारण अपराधी जमानत पर छूट जाते हैं. इस बारे में कड़कड़डूमा कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ता मनीष भदौरिया ने बताया कि साइबर अपराध के मामलों में सजा का प्रावधान तो है. लेकिन पुख्ता सबूत इकट्ठा न मिलने का का लाभ अपराधियों को मिलता है. अगर किसी मामले में सबूत मिलते भी हैं तो उसके ट्रायल में सालों लग जाते हैं और तब तक कोर्ट मुजरिम को जमानत दे चुका होता है.