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बाहर से ताला, अंदर चल रहा था भोपाल में बूचड़खाना! एनजीटी ने लिया संज्ञान - जिंसी बूचड़खाना

आदेश के बावजूद भोपाल में बूचड़खाने को बंद नहीं करने वाली खबर पर एनजीटी ने संज्ञान लिया है. संबंधित लोगों को इस मामले पर अपना पक्ष रखने के लिए 16 जनवरी को तलब किया गया है.

national green tribunal
नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल

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Published : Dec 12, 2019, 9:45 PM IST

नई दिल्ली: भोपाल में बूचड़खाने को बंद करने के एनजीटी के आदेश के बावजूद उसे अंदर से चलाने की एक खबर पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने संज्ञान लिया है. जस्टिस एस रघुवेंद्र राठौर की अध्यक्षता वाली बेंच ने संबंधित अखबार के संपादक, भोपाल के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट तरुण कुमार पिथोडे और भोपाल नगर निगम के आयुक्त एम विजय दत्ता को इस मामले पर अपना पक्ष रखने के लिए तलब किया है.

दरअसल एनजीटी ने अक्टूबर में भोपाल के बूचड़खाने को बंद करने का आदेश दिया था. एनजीटी की ओर से नियुक्त आयुक्त ने बूचड़खाने पर ताला भी लगा दिया था. इस संबंध में भोपाल के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और नगर निगम के आयुक्त ने एनजीटी में हलफनामा दायर कर कहा कि बूचड़खाने पर ताला लगा दिया गया है.

स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा !

एक अखबार ने 5 दिसंबर को स्टिंग ऑपरेशन कर खबर छापी थी कि एनजीटी के आदेश पर बूचड़खाने में ताला तो लगाया गया, लेकिन ये अंदर ही अंदर चल रहा था. इसी को आधार बनाते हुए याचिकाकर्ता ने एनजीटी से कहा कि ऊपर से भले ही ताला लगाया गया है, लेकिन अंदर से बूचड़खाना चल रहा है.

एनजीटी ने लिया संज्ञान

इस पर संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने अखबार के संपादक, भोपाल के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और भोपाल नगर निगम के आयुक्त को इस मामले पर अपना पक्ष रखने के लिए 16 जनवरी को तलब किया है.

ये है मामला

अक्टूबर में एनजीटी ने भोपाल के जिंसी में चल रहे इस बूचड़खाने को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया था. एनजीटी ने भोपाल के कलेक्टर को निर्देश दिया था कि इस आदेश को लागू करवाएं. याचिका विनोद कुमार कोरी ने 2014 में दायर की थी. याचिका में मांग की गई थी कि भोपाल के जिंसी में चल रहे बूचड़खाने को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए. ये बुचड़खाना रिहायशी और वाणिज्यिक इलाके में चल रहा है.

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