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गाजियाबाद: कूड़ाघर में तब्दील हो चुका पार्क के बदले हालात, सुंदर तालाब और फूल है आकर्षण का केंद्र - नेताजी सुभाष चंद्र बोस पार्क की तस्वीर बदल गई

गाजियाबाद के कवि नगर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस पार्क को एक सुंदर इको-हब के तर्ज पर विकसित किया गया है. पहले इस पार्क में कचरा फैला रहता था. मॉनसून के सीजन तक इस तालाब को पूर्ण रूप से विकसित कर लिया जाएगा.

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Published : Feb 8, 2023, 11:00 PM IST

आलोक कुमार झा, सीजीएसटी आयुक्त

नई दिल्ली/गाजियाबाद:गाजियाबाद के कवि नगर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस पार्क की तस्वीर बदल गई है. पहले इस पार्क में कचरा फैला रहता था. आस-पास मौजूद औद्योगिक इकाइयों का वेस्ट भी इसी पार्क में डंप किया जाता था. लेकिन अब इस पार्क को एक सुंदर इको-हब के तर्ज पर विकसित किया गया है. जहां पहले कूड़ो का पहाड़ होता था. वहां आज सुंदर हरे पौधे हवाओं के साथ लहरा रहे हैं. पार्क में कुछ फूलों के पौधे भी लगाए गए हैं. इस इको-हब का मुख्य आकर्षण तालाब है. मॉनसून के सीजन तक इस तालाब को पूर्ण रूप से विकसित कर लिया जाएगा. पार्क में प्लेइंग जोन, वॉकिंग ट्रैक और तालाब के पास इमीग्रेंट बर्ड्स के लिए भी व्यवस्था की जाएगी.

गर्मियों के सीजन में प्रकृति प्रेमियों के लिए यह एक अच्छा पर्यटक स्थल के रूप में उभरेगा. प्रदूषण और गर्मी की मार से बचाव के लिए गाजियाबाद का सुभाष चंद्र बोस पार्क एक अच्छा विकल्प बनेगा. इस पार्क के जीर्णोद्धार में केंद्रीय माल एवं सेवा कर आयुक्तालय, सीमा शुल्क एवं सीजीएसटी मेरठ परिक्षेत्र, गाजियाबाद नगर निगम, स्थानीय इंडस्ट्री एसोसिएशन एवं पर्यावरणविदों का सहारा लिया गया है.

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सीजीएसटी आयुक्त गाजियाबाद, आलोक कुमार झा ने ईटीवी भारत को बताया कि पार्क की सूरत बदल गई है. पहले यह डंपिंग यार्ड हुआ करता था और ये पार्क पहले कचरे और मलबे से भरा हुआ रहता था. इस पार्क में लगभग 12 हजार पौधे लगाए गए हैं. इसके साथ ही पार्क में लेक भी डेवलप किया गया है. जिसमें माइग्रेटरी बर्ड्स आएंगे और ये पार्क एक वाटिका की तर्ज पर बनाया जाएगा. इस पार्क को अशोक वाटिका का रूप दिया जाएगा. जिसके बाद गाजियाबाद का यह पहला ऐसा पार्क बनेगा जो प्राकृतिक सुंदरता के साथ एक इको-हब के रूप में भी उतरेगा. यह प्रकृति प्रेमियों के लिए एक काफी अच्छी जगह होगी. कई संस्थाओं की मदद के साथ इस काम को पूरा किया गया है, जिसमें फॉरेस्ट डिपार्टमेंट का भी सहयोग लिया गया है.

वहीं पर्यावरणविद विक्रांत ने बताया कि यह डंपिंग ग्राउंड था. इंडस्ट्रियल एरिया होने के कारण यहां पर कई तरीके के ऐसे वेस्ट फेकें जाते थे जो प्रकृति को नुकसान पहुंचाते हैं. हम लोगों ने इस को बेहतर बनाया. अब इसको मॉनसून तक और बेहतर बनाने का प्रयास है.

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