नई दिल्ली: देश की सभी अदालतों में बड़ी संख्या में मुकदमे लंबित हैं. हाईकोर्ट हो या लोअर कोर्ट सभी जगह मुकदमों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. इसी क्रम में दिल्ली हाईकोर्ट में भी लंबित मुकदमों की संख्या एक लाख से भी ऊपर है. इनमें सिविल और क्रिमिनल दोनों तरह के मुकदमे शामिल हैं.
नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड के आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त 2023 में दिल्ली हाईकोर्ट में कुल 4963 मुकदमे आए, जिनमें से 4616 मुकदमों का निपटारा हुआ. इस तरह से नए आने वाले मामलों और निपटाए गए मामलों की संख्या में 347 का अंतर है.
इसी तरह हाईकोर्ट में अगस्त 2023 तक लंबित मुकदमों की संख्या एक लाख 11 हजार 110 है. इनमें से 78 हजार 659 मुकदमे सिविल और 32 हजार 451 मामले क्रिमिनल के हैं. इनमें भी रिट पिटीशन के मामले सबसे ज्यादा हैं. आकड़ों के मुताबिक, हाईकोर्ट में 36 हजार 324 मामले रिट पिटीशन के लंबित हैं.
कड़कड़डूमा कोर्ट के अधिवक्ता राजीव तोमर ने बताया कि कोर्ट में मामले लंबित होने का मुख्य कारण बढ़ती हुई आबादी की तुलना में कोर्ट की संख्या कम होना है. इसके साथ ही अब मैट्रीमोनियल मामलों की संख्या ज्यादा बढ़ती जा रही है. पारिवारिक विवाद होने पर लड़की पक्ष के लोग मुकदमे लगा देते हैं. इसके साथ ही जनहित के मामलों को लेकर याचिका दायर करने का भी चलन बढ़ा है. इसकी वजह से भी मुकदमों की संख्या बढ़ रही है. राजीव तोमर का कहना है कि आबादी के हिसाब से थानों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है पर इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से कोर्ट की संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं हो पा रही है.
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