नई दिल्ली:दिल्ली के अक्षरधाम के नजदीकयमुना खादर इलाके में बुधवार रात बाढ़ के पानी का स्तर अचानक तेजी से बढ़ने लगा. बताया जा रहा है कि रात के समय यमुना का जलस्तर बढ़ने से यमुना खादर के इलाके में पांच से सात फीट तक पानी बढ़ गया, जिससे लोगों के घरों में पानी घुस गया. यही वजह है कि लोगों को मजबूरन अपने घर गृहस्थी का सामान और पशुओं को छोड़कर वहां से निकलना पड़ा. कुछ लोग खुद से निकल कर सुरक्षित जगह पर आ गए, जबकि कुछ लोगों को जिला प्रशासन की टीम ने नाव से रेस्क्यू किया.
बता दें, यमुना खादर में बनीं लोगों की झुग्गियां पूरी तरह से पानी में डूब चुकी हैं. मयूर विहार फेज-1 मेट्रो स्टेशन के सामने स्थित सड़क पर दिल्ली सरकार की ओर से बाढ़ पीड़ितों के लिए 100 से ज्यादा कैंप लगाए गए हैं, लेकिन यह कैंप बाढ़ पीड़ितों के लिए पर्याप्त नहीं हैं. यहां रह रहे पीड़ित परिवारों की संख्या 200 से ज्यादा है. प्रत्येक परिवार में चार से पांच सदस्य हैं. बातचीत में लोगों ने बताया कि वे उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के अलग-अलग गांव के रहने वाले हैं और करीब 20 साल से यहां खेती कर रहे हैं. अभी खेत में तोरई, लौकी, खीरा, ककड़ी की फसल थी जो पानी में डूब चुकी है. जिससे अंदाजन 50 हजार से एक लाख रुपए तक का नुकसान हो चुका है.
पीड़ित किसानों का कहना है कि अभी सारी सब्जियां महंगी हैं तो प्रतिदिन एक से दो हजार रुपए की आमदनी सब्जी बेचकर हो रही थी. लेकिन, अब फसल डूबने से उनके पास पैसे की किल्लत हो गई है. दो-चार दिनों का ही राशन बचा है. इसके बाद वह सरकारी मदद पर ही निर्भर है. अभी कुछ समाज सेवी संस्थाओं और सरकार की तरफ से खाना मिल रहा है. लेकिन, खाने के अलावा भी खर्चे होते हैं छोटे बच्चों के लिए दूध, बिस्किट और बाकी चीजों की भी जरूरत पड़ती है. इसकी अभी किल्लत है.
रामकिशन ने बताया कि बीते 20 सालों में पहली बार इतना पानी आया है. पहले हल्का पानी आता था और एक दो दिन में खत्म हो जाता था. इस बार भी उन्हें इतना पानी आने की उम्मीद नहीं थी इसलिए जल्दी जगह खाली नहीं की. पानी बढ़ने से अचानक जगह छोड़ने की वजह से कपड़े, राशन, गाय, भैंस, बकरी और कुत्ते भी झुग्गियों में रह गए. कई लोगों ने बताया कि उनकी सब्जी बेचने की रेहड़ी, बिक्की, मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर, भी पानी में ही खड़े रह गए हैं.