नई दिल्ली:दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कैंसर के इलाज के लिए स्थापित प्रमुख अस्पताल दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान (डीएससीआई) में कैंसर के मरीजों को सीटी स्कैन के लिए भी एक महीने की लंबी वेटिंग मिल रही है. इससे उनका समय पर इलाज नहीं हो पा रहा है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज लगातार अस्पतालों का औचक निरीक्षण करते रहते हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में मरीजों के हालात बदलते नजर नहीं आ रहे.
डॉक्टर नहीं होने से देरी: लंबी तारीख मिलने का प्रमुख कारण अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग में डॉक्टरों की कमी को बताया जा रहा है. अस्पताल से जुड़े सूत्रों के अनुसार, यहां रेडियोलॉजी विभाग में सिर्फ दो डॉक्टर हैं. सीटी स्कैन गाइडेड बायोप्सी की रिपोर्ट तैयार करने वाले मुख्य डॉक्टर की कमी से यह परेशानियां आ रही है. पहले यहां एक दिन में कम से कम 15 से ज्यादा मरीजों का सीटी स्कैन होता था. अब अस्पताल में सिर्फ छह से सात मरीजों का ही प्रतिदिन सीटी स्कैन किया जाता है. अब इन छह सात सीटी स्कैन की रिपोर्ट भी एक सप्ताह बाद मिलती है.
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से अपने पिता का सीटी स्कैन कराने आए नितिन ने बताया कि उन्हें एक महीने बाद की 28 जुलाई की तारीख मिली थी. इस तारीख पर वो सीटी स्कैन कराने नहीं आ सके. जब वह पांच दिन बाद सीटी स्कैन कराने आए तो उनसे कहा गया कि यहां एक दिन में पांच से छह सीटी स्कैन ही होते हैं, अब सीटी स्कैन के लिए उन्हें दोबारा तारीख लेनी होगी.
मरीजों को होने वाली परेशानियां: अस्पताल में अपने पिताजी का इलाज करा रहीं नीतू ने बताया कि डीएससीआई में मार्च में रेडियो थेरेपी की एक मशीन खराब हुई थी, जो अभी तक ठीक नहीं हुई. एक मशीन से प्रतिदिन 50 से 60 मरीजों की ही रेडियो थेरेपी हो पाती है. डॉ अंशुमान ने बताया कि इसी तरह रेडियोथेरेपी की एक मशीन से प्रतिदिन 50 से 60 मरीजों को रेडियोथेरेपी देने का मानक है.
जबकि, निजी अस्पतालों में प्रतिदिन एक मशीन से 80 मरीजों की रेडियो थेरेपी की जाती है. इतना ही नहीं डीएससीआई की ओपीडी में भी कैंसर के प्रतिदिन मात्र 30 से 40 ही नए मरीज देखे जाते हैं. यहां क्लिनिकल ऑनकोलॉजी में चार डॉक्टर हैं, जो प्रति डॉक्टर सिर्फ 8 से 10 ही नए मरीज देखते हैं. इसके अलावा 50-50 पुराने मरीज देखे जाते हैं. यानी ओपीडी में कुल 200 पुराने मरीज देखे जाते हैं.