नई दिल्ली: दिल्ली उपराज्यपाल कार्यालय ने दिल्ली सरकार से न्यायिक ढांचे और प्रशासन से जुड़ी कई महीनों से लंबित फाइलें मांगी हैं. उपराज्यपाल कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि उपराज्यपाल ने निर्देश दिया है कि कानून मंत्री के पास 6 महीने से लंबित सभी फाइलें उन्हें तीन दिनों के अंदर सौंपी जाएं. इन फाइलों में रोहिणी में जिला अदालत परिसर के निर्माण, राउज एवेन्यू कोर्ट में वकीलों के चैंबर निर्माण, जिला अदालतों के लिए थिन क्लिंट मशीनों की खरीद, पारिवारिक अदालतों के लिए प्रिंटर, राज्य और जिला कानूनी सेवा प्राधिकरणों के गठन,अधिकारिक रिसीवर की नियुक्ति, दिल्ली सरकार में डीवीएटी, जीएसटी, ट्रिब्यूनल, जिला न्यायालयों में पैनल के गठन का प्रस्ताव और दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों के भत्ते में वृद्धि आदि के प्रस्ताव शामिल हैं.
इससे पहले 4 दिसंबर को प्रमुख सचिव (कानून और न्याय) की एक रिपोर्ट में उपराज्यपाल सचिवालय के संज्ञान में 18 लंबित फाइलें लाई गई थी. फाइलों पर शीघ्र निर्णय लेने के लिए कानून मंत्री को भी लिखा गया था, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. इसी क्रम में एलजी सचिवालय ने गुरुवार को प्रमुख सचिव को एक पत्र में कानून मंत्री के पास लंबित सभी फाइलों को तीन दिनों के अंदर उपराज्यपाल के अवलोकन और विचार के लिए प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.
पत्र की एक प्रति मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी भेजी गई है, इसमें जीएनसीटीडी 1993 के व्यापार नियम 19 (5) की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा गया है कि दिल्ली सरकार द्वारा इन फाइलों को निपटाने में हुई अप्रत्याशित देरी न्याय प्रशासन में तकनीकी नवाचारों को पेश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की पहल का उल्लंघन है. इससे न्यायिक प्रणाली की दक्षता और प्रभावशीलता प्रभावित हो रही थी.
उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा फाइलों को मांगने के बाद दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया कि दिल्ली में अब तक के इतिहास में जुडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर पर सबसे ज्यादा निवेश आप सरकार ने किया है. आप सरकार के कार्यकाल में ही विश्वस्तरीय राउज एवेन्यू कोर्ट परिसर का निर्माण किया गया. इसके अलावा कड़कड़डूमा कोर्ट में एक नया ब्लॉक, हाईकोर्ट में एक नया ब्लॉक, तीस हजारी कोर्ट के निकट कोर्ट परिसर का दिल्ली सरकार द्वारा निर्माण कराया गया है.