दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

World Preeclampsia Day: इन गर्भवती महिलाओं को होती है प्रीक्लेम्पसिया की बीमारी, जानें लक्षण व कारण - दिल्ली की ताजा खबरें

महिलाओं को गर्भधारण के दौरान कई जटिल स्थितियों से होकर गुजरना पड़ता है. इस दौरान महिलाओं को कई बीमारियों का भी खतरा रहता है, जिसमें से एक है प्रीक्लेम्पसिया. विश्व प्रीक्लेम्पसिया दिवस के मौके पर आइए जानते हैं किन महिलाओं को यह बीमारी होती है और क्या हैं इसके लक्षण.

world health organisation
world health organisation

By

Published : May 22, 2023, 3:26 PM IST

Updated : May 22, 2023, 5:24 PM IST

नई दिल्ली: गर्भवती महिलाओं को अपनी सेहत के प्रति जागरूक करने और गर्भधारण के बाद होने वाले रोग 'प्रीक्लेम्पसिया' के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 22 मई को विश्व प्रीक्लेम्पसिया दिवस मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनियाभर में इस रोग के कारण गर्भवती महिलाओं और बच्चों की होने वाली मौत को कम करने के लिए इसे विश्व प्रीक्लेम्पसिया दिवस के रूप में मान्यता दी है.

सर गंगा राम अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की वरिष्ठ डॉ. माला श्रीवास्तव ने बताया कि यह बीमारी महिलाओं में गर्भधारण के बाद शुरू होती है. इसका कारण हाई ब्लड प्रेशर और महिलाओं की पहले की पीढ़ियों में इसकी हिस्ट्री का होना होता है. यह बीमारी आमतौर पर महिलाओं को पहली बार गर्भधारण के दौरान होती हैं जो मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक होती है.

क्यों होती है बीमारी: डॉ. माला ने बताया कि जब बच्चा मां के गर्भ में आता है तो उसमें मां और बाप दोनों का अंश होता है. बच्चे के गर्भ में आने के बाद महिला के सारे ब्लड सेल्स खुलने चाहिए. लेकिन कई बार सारे ब्लड सेल्स नहीं खुल पाते हैं, जिसकी वजह से महिला का ब्लड प्रेशर बढ़ना शुरू हो जाता है. इससे बच्चे को उचित आहार नहीं मिल पाता है और बच्चे का विकास रुक जाता है. यह स्थिति मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक होती है.

क्या हैं इसके लक्षण: ब्लड प्रेशर बढ़ना, वजन बढ़ना, घबराहट होना, सिरदर्द, पेट दर्द, चक्कर आना, शरीर में सूजन आना इत्यादि.

क्या है इलाज:गर्भधारण के दौरान जब महिला का दूसरे या तीसरे चरण का अल्ट्रासाउंड किया जाता है, तब इस बीमारी के लक्षण दिखते हैं. ऐसे में गर्भधारण के 16 सप्ताह के अंदर प्रीक्लेम्पसिया को रोकने के लिए ईकोस्प्रिन नाम की दवाई दी जाती है. इससे प्रीक्लेम्पसिया को रोकने में मदद मिलती है. अगर बीमारी नियंत्रण में नहीं आती है तो कई बार समय से पहले भी डिलीवरी कराई जाती है.

यह भी पढ़ें-WHO Disease Threats : डब्ल्यूएचओ ने संक्रामक रोग के खतरे का पता लगाने, रोकने के लिए नए नेटवर्क की घोषणा की

कब खत्म होती है यह बीमारी:डॉक्टर बताते हैं कि डिलीवरी होने के बाद यह बीमारी अपने आप खत्म हो जाती है. यह बीमारी ज्यादातर पहली बार गर्भधारण करने वाली महिलाओं में होती है. पहली बार होने पर इसे प्रीक्लेम्पसिया कहते हैं, जबकि दोबारा ये बीमारी होने पर इसे एक्लेम्प्सिया कहा जाता है. आमतौर पर जिस महिला को पहली बार गर्भधारण करने पर यह बीमारी होती है उसके दूसरी बार गर्भधारण करने पर चिकित्सक इसकी रोकथाम के लिए पहले इलाज शुरू कर देते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस बीमारी के कारण हर साल दुनिया भर में लगभग 76 हजार गर्भवती महिलाओं और पांच लाख नवजात शिशुओं की मौत होती है. वहीं, भारत में पांच से दस प्रतिशत महिलाओं को यह बीमारी होती है.

यह भी पढ़ें-International Museum Day: डॉल म्यूजियम में पेरू की गुड़िया बनी आकर्षण का केंद्र

Last Updated : May 22, 2023, 5:24 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details