नई दिल्ली:भगवान शंकर की आस्था का पवित्र माह सावन शुरू हो चुका है. इस माह में गंगाजल लाने का बड़ा महत्व है. गंगाजल को शिवभक्त कावड़िए और उनके परिवार के लोग सावन की शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर चढ़ाते (जलाभिषेक) हैं. इसके साथ ही सावन के सोमवार को भी गंगाजल चढ़ाया जाता है. दिल्ली में अधिकतर लोग हरिद्वार से जल लेकर आते हैं. इसके अलावा दिल्ली के आसपास नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, हापुड़, पिलखुआ, फरीदाबाद, गुरूग्राम, सोनीपत के लिए भी कावड़िए हरिद्वार से जल लेकर आते हैं. कांवडियों की सेवा के लिए दिल्ली सरकार ने हर साल की तरह इस साल भी बड़ी संख्या में शिविर लगाए हैं.
400 से 500 कावड़ियों के ठहरने की व्यवस्था:शिव भक्तों की सेवा के लिए शिविर तैयार हैं. इन शिविरों में कावड़ियों के विश्राम करने नहाने, खाने और कावड़ को पकड़ने व स्टैंड पर रखने की भी व्यवस्था की गई है. दिल्ली सरकार इन शिविरों को चलाने के लिए कावड़ सेवा समिति और नजदीकी गांव की भी मदद ले रही है. इन शिविरों में से कुछ शिविर अक्षरधाम के पास भी लगाए गए हैं. यहां पर 200-200 मीटर की दूरी पर तीन शिविर लगाए गए हैं, जिनमें से प्रत्येक शिविर में 400 से 500 कावड़ियों के ठहरने की व्यवस्था है.
मेडिकल से लेकर खाने पीने तक की सुविधा:इन शिविरों को समसपुर गांव, पांडव नगर और पटपड़गंज गांव के लोग चला रहे हैं. यह तीनों शिविर एनएच-9 पर स्थित हैं. इनके अलावा सराय काले खां से लेकर गाजीपुर बॉर्डर तक एनएच-9 पर कुल छह शिविर लगाए गए हैं. इनमें गाजीपुर गांव और खिचड़ीपुर के पास भी दो शिविर शामिल हैं. इन शिविरों में भी गांव के 15 से 20 लोग सेवा दे रहे हैं. यह लोग कावड़ियों की कावड़ को पकड़ने के साथ ही उनको खाना खिलाने और दवाई दिलाने का भी काम कर रहे हैं.