नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी इलेक्ट्रिक वाहनों विशेष रूप से दुपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए बीमा अनिवार्य करने (making insurance mandatory) की मांग वाली याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court) के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की संयुक्त पीठ ने सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 2 नवंबर 2022 तक का समय दिया है. कोर्ट ने 2 नवंबर को मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.
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बीमा के मुद्दे का निवारण करना तत्काल जरूरी : एडवोकेट रजत कपूर की ओर से एडवोकेट राज कपूर के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग ने एक ऐसे अधिनियम की तत्काल आवश्यकता पैदा कर दी है जो विशेष रूप से दोपहिया, तिपहिया और चार पहिया वाहनों सहित सभी इलेक्ट्रिक वाहनों से संबंधित है. यह याचिका हालिया विस्फोटों और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को जलाने की घटनाओं के मद्देनजर दायर की गई थी. इसमें कहा गया है कि "जिस कीमत पर लोग इलेक्ट्रिक वाहन खरीद रहे हैं और पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि से उत्पन्न होने वाली सोच में बदलाव को देखते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों के बीमा के मुद्दे का निवारण करने की तत्काल आवश्यकता है".
कानूनी प्रावधान न रहने नहीं किया जा सकता दंडित : याचिका में आरोप लगाया गया है कि बीमा से संबंधित नियमों की कमी से सड़क पर चलने वाले या उड़ने वाले वाहनों का ढेर बन जाएगा, जिनका कोई स्रोत नहीं है. "यह आने वाले दिनों में विनाश की स्थिति पैदा कर सकता है, किसी तीसरे पक्ष के बीमा की कमी के कारण किसी भी पीड़ित को मृत्यु या मुआवजे से संबंधित कोई भी मुद्दा या ऐसे वाहनों के मालिक की ओर से किए गए किसी भी अपराध की कानून की कमी के कारण दंडित नहीं किया जा सकता है. याचिका में कहा गया है, "भू-राजनीतिक परिदृश्य और चल रहे युद्ध ने कच्चे तेल की कीमतों के संबंध में अस्थिरता की स्थिति पैदा कर दी है, जो आगे किसी भी दिशा में जा सकती है, ये उचित नियम और कानून बनाने की तत्काल आवश्यकता पैदा करता है जो विशेष रूप से न केवल इलेक्ट्रिक वाहन बल्कि अन्य हरित संसाधनों जैसे पवन या सौर ऊर्जा वाहनों के लिए भी जरूरी है. इसके मद्देनजर, याचिका में कहा गया है कि सुरक्षित बैटरी और अन्य समान उपाय प्रदान करने में चूक के लिए नुकसान और दंड के निर्धारण को कवर करने के लिए एक व्यापक अधिनियम की आवश्यकता होगी.
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