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दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को केंद्र सरकार द्वारा वापस लेने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई टली

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 17, 2023, 8:35 PM IST

Waqf Board property case: दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को केंद्र सरकार द्वारा वापस लेने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई टल गई है. मामले में अगली सुनवाई अप्रैल में होगी. हाईकोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से जानकारी दी गई की अभी तक लैंड एंड डेवलपमेंट विभाग ने 40 और डीडीए ने 35 संपत्तियों का सर्वे पूरा किया है.

दिल्ली वक्फ बोर्ड
दिल्ली वक्फ बोर्ड

नई दिल्ली: दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को केंद्र सरकार द्वारा वापस लेने के मामले में शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई टल गई. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को संपत्ति का सर्वे पूरा करने के लिए और समय दिया है. केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि 123 संपत्तियों में अब तक 75 संपत्तियों का सर्वे पूरा हो चुका है. बाकी संपत्तियों का सर्वे पूरा करने में अभी दो से तीन महीने का वक्त लगेगा. मामले में अगली सुनवाई अप्रैल में होगी.

केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने वक्फ बोर्ड से इन संपत्तियों को वापस लेने के लिए आठ फरवरी को आदेश जारी किया था. इस आदेश के खिलाफ वक्फ बोर्ड की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में वक्फ बोर्ड की इस याचिका का विरोध किया था. केंद्र सरकार ने कहा था कि दिल्ली वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों का मालिक नहीं हो सकता, बल्कि संरक्षक हो सकता है.

केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों के परीक्षण का विरोध नहीं कर सकता, बल्कि उसे संपत्तियों की स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए. सिर्फ इस वजह से इन संपत्तियों को वक्फ की संपत्ति नहीं माना जा सकता कि ये कुछ लोगों को लीज पर दी गई है. हलफनामे में कहा गया है कि वक्फ बोर्ड की स्थापना वक्फ कानून के तहत की गई है. 7 मार्च को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के आदेश पर यथास्थिति बहाल करने का आदेश देने से मना कर दिया था.

वक्फ बोर्ड की ओर से पेश अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेने के लिए बहुत तुच्छ वजह बताई है कि वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों में कोई रुचि नहीं रखता है. इन संपत्तियों की पांच बार पड़ताल हो चुकी है. हर बार यह पता चलता है कि वे वक्फ की है. अंतिम पड़ताल केंद्र सरकार की ओर से गठित एक सदस्यीय समिति ने की थी.

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