नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमित मरीजों के शवों के ढेर बनने की खबरों पर दिल्ली सरकार और दिल्ली की तीनों नगर निगमों से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल की बेंच ने 2 जून तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
निगमबोध घाट के फर्नेस में खराबी आ गई है
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वकील संजय घोष ने कहा कि ये स्थिति कुछ अपरिहार्य कारणों की वजह से निर्मित हुई है. निगम बोध घाट के फर्नेस में आई गड़बड़ियों की वजह से कोरोना संक्रमित मरीजों के शवों का अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा है. शवदाह गृहों में आगे ऐसी कोई स्थिति ना निर्मित हो इसके लिए कदम उठाये जा रहे हैं. एलएनजेपी अस्पताल को ये अधिकार दिया गया है कि वो शवों को पंचकुइया और पंजाबी बाग के शवदाह गृहों में भी अंतिम संस्कार के लिए ले जा सकते हैं. इलेक्ट्रिक और सीएनजी फर्नेस के अलावा लकड़ी से भी कोरोना संक्रमितों के शवों को जलाने की अनुमति दी गई है.
शवदाह गृह का समय बढ़ाया गया
दिल्ली सरकार ने कहा कि सभी शव दाह गृह और हेल्थकेयर के कर्मचारियों को पीपीई किट उपलब्ध कराये जा रहे हैं. शवदाह गृह में भी कर्मचारी सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक काम करेंगे. पहले ये समय सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक का था. दिल्ली सरकार ने कहा कि 28 मई को 28 शवों का अंतिम संस्कार किया गया और 30 मई तक 35 शवों का अंतिम संस्कार किया जाएगा. केवल उन्हीं शवों को रखा जाएगा जिनकी जांच जरूरी है. उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.
हाईकोर्ट ने लिया था संज्ञान
पिछले 28 मई को हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था. जस्टिस राजीव सहाय एंडला और जस्टिस आशा मेनन की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के बाद इस मामले को चीफ जस्टिस डीएन पटेल के पास जनहित में उचित दिशानिर्देश जारी करने के लिए रेफर कर दिया था.