नई दिल्ली:अगर आप भी नौकरी की तलाश में हैं और इसके लिए अपने रेज्यूमे को जॉब पोर्टल्स पर अपलोड कर उनके माध्यम से जॉब ढूंढ रहे हैं तो सावधान हो जाइए. ऐसा इसलिए है क्योंकि आप भी जॉब के नाम पर ठगी करने वालों के शिकार हो सकते हैं. दरअसल दिल्ली में साउथ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट के साइबर थाने की पुलिस टीम ने हाई टेक ठगों के एक ऐसे ही ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया है, जो नौकरी की तलाश कर रहे भोले-भाले युवाओं को टाटा और अडानी प्रोजेक्ट्स जैसी बड़ी कंपनियों में जॉब के नाम पर ठगी (fraud of lakhs in name of providing jobs in Tata) करते थे. मामले में गिरफ्तार आरोपियों की पहचान, कुंदन कुमार सिंह, नीरज कुमार, आरिफ नूर और अंकित रावत के रूप में हुई है. ये सभी धनबाद और गाजियाबाद जिले के रहने वाले हैं.
डीसीपी मनोज सी. के अनुसार, ठगी के इस गैंग का खुलासा तब हुआ जब, राज नगर पार्ट 2 के रहने वाले एक शिकायतकर्ता इंद्र नाथ ने 4 जुलाई को साइबर थाने को इनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. शिकायतकर्ता ने बताया कि 25 मई को उसे जॉब ऑफर से संबंधित एक ईमेल प्राप्त हुई थी. इसी संबंध में आगे उन्हें जॉब के लिए रजिस्ट्रेशन फीस के नाम पर 4,999 रुपये भुगतान करने को कहा गया. इसके बाद उन्हें 10 जून को से एक और ईमेल मिला, जिसमें उन्हें बताया गया कि उनके प्रोफाइल को जनरल मैनेजर प्रोजेक्ट ऑपरेशन के लिए चुना गया है. इसमें जॉब की डिटेल और इंटरव्यू शेड्यूल के बारे में भी जानकारी दी गई थी.
इसके बाद 11 जून को उन्होंने ऑनलाइन ऑडियो फॉर्मेट में इंटरव्यू अटेंड किया जिसके दौरान उन्हें एजुकेशन और एक्सपीरिएंस सर्टिफिकेट, पासपोर्ट, आईडी और फोटो आदि को ईमेल के माध्यम से उपलब्ध कराने के लिए कहा गया. साथ ही पीड़ित से डॉक्युमेंट के वेरिफिकेशन के लिए 14 हजार रुपये मांगे गए, जिसका उसने भुगतान कर दिया. लेकिन बात इतने पर ही खत्म नहीं हुई, पीड़ित से पीआरओ मूवमेंट के नाम पर 22 हजार रुपये, एम्प्लॉयमेंट बांड के नाम पर 80 हजार 850 रुपये और जॉब सिक्योरिटी के नाम पर 1,12,291 रुपये सहित अलग-अलग तरीकों से कुल 8,81,444 रुपये ऐंठ लिए गए जिसके बावजूद उसे कोई जॉब नहीं मिली. इस दौरान उनके संपर्क में आये रितेश सिंह, हरीश टंडेल, मुकेश सेनापति और मयंक शर्मा से संपर्क करने की कोशिश की तो किसी से भी उनका संपर्क नहीं हो पाया जिसपर पीड़ित ने इसकी शिकायत साइबर पुलिस में की.
डीसीपी ने बताया कि, शुरुआती जांच के बाद 1 अगस्त को साइबर थाने में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई. इसके लिए एसीपी ऑपरेशन देवेंदर कुमार सिंह की देखरेख में एसएचओ अजय सिंह के नेतृत्व में एसआई सुमित, एएसआई अगम प्रसाद, हेड कॉन्स्टेबल रवित कुमार और अन्य की टीम का गठन किया गया था. जांच के दौरान, पुलिस ने ट्रांजेक्शन के बेनिफिशियरी की डिटेल प्राप्त कर तकनीकी निगरानी और विश्लेषण किया. इसके अलावा पुलिस ने विभिन्न सभी सर्विस प्रोवाइडरों से डेटा प्राप्त कर उसका भी विश्लेषण किया, जिससे मिली जानकारियों के आधार पर पुलिस टीम ने उनके ठिकानों पर छापेमारी कर इन चारों आरोपियों को दबोच लिया.