नई दिल्ली: राजधानी का निर्भया कांड वो घटना है, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. 16 दिसंबर, 2012 में घटी इस घटना के बाद सरकार बदली, न्याय व्यवस्थाओं में परिवर्तन किया गया, लेकिन इन सबके बावजूद दिल्ली में रहने वाली महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में कमी नहीं आई. यह हम नहीं कह रहे बल्कि नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो हालिया रिपोर्ट कह रही है.
महिलाओं के खिलाफ अपराध में दिल्ली टॉप पर:दरअसल 16 दिसंबर को निर्भया के साथ छह लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म कर उसे चलती बस से फेंक दिया था. 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत होने पर पूरा देश उबल पड़ा था. तब लोगों ने जगह-जगह प्रदर्शन कर निर्भया के लिए न्याय की गुहार लगाई थी. मामले में सवा सात साल तक फास्ट ट्रैक कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चली सुनवाई के बाद अंतत: 20 मार्च 2020 को घटना के चारों दोषियों को फांसी देने के निर्णय के साथ निर्भया को न्याय तो मिला, लेकिन आज भी देश के 19 महानगरों में महिलाओं के खिलाफ हुए अपराध में दिल्ली टॉप पर है.
2022 में और बढ़े मामले: नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में साल 2021 के मुकाबले 2022 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में कमी होने की बजाए वृद्धि हुई है. वहीं देश के 19 महानगरों में महिलाओं के खिलाफ अपराध में दिल्ली लगातार तीसरे साल भी टॉप पर है. साल 2021 में प्रतिदिन महिलाओं के दुष्कर्म के दो मामले दर्ज होते थे, जिसकी संख्या 2022 में बढ़कर तीन हो गई. आंकड़े देखें तो 2021 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध की संख्या 13,892 थी जो 2022 में बढ़कर 14,158 हो गई.
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उदाहरण कई, बदलाव नहीं:साल 2022 में दिल्ली में रेप के 1204 केस, 129 दहेज हत्या, पांच एसिड अटैक और 3,909 किडनैप करने के मामले दर्ज हुए. अगर महिलाओं के खिलाफ पिछले एक साल के अंदर हुई बड़ी घटना की बात करें तो 31 दिसंबर 2022 को कंझावला में युवती को कार के नीचे 12 किलोमीटर तक घसीटे जाने से लेकर इस साल शाहबाद डेयरी इलाके में सिरफिरे आशिक द्वारा नाबालिग लड़की को बेरहमी से चाकू मारकर हत्या किए जाने के बहुतेरे उदाहरण हैं.
क्राइम की आंकड़े नहीं होते अपडेट:पहले दिल्ली पुलिस राजधानी में होने वाले क्राइम के आंकड़े अपने वेबसाइट पर महीने डेढ़ महीने में अपडेट करती थी. लेकिन जुलाई 2022 के बाद इसे अपडेट करना बंद कर दिया गया. इससे राजधानी में हर महीने होने वाले अपराध की जानकारी नहीं मिल पाती. निर्भया कांड के बाद दिल्ली में कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े होने के बाद इसके लिए कदम उठाए जाने की बात कही गई थी, लेकिन वक्त बीतने के साथ उनमें से अधिकतर ठंडे बस्ते में ही चले गए.
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आज भी सेफ नहीं:दिल्ली में आज भी कई सड़कें ऐसी हैं, जहां अभी तक स्ट्रीट लाइट्स तक नहीं लगी हैं. ऐसी जगह महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध होने की संभावना सबसे अधिक रहती है. इनमें बस स्टैंड्स जैसी महत्वपूर्ण जगह भी शामिल हैं. वहीं दिल्ली में संवेदनशील स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की भी बात हुई थी, जो आज भी पूरी नहीं हुई है. इन सब बातों से पता चलता है कि इतने सारे बदलाव भी राजधानी में महिलाओं को सुरक्षित रख पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं.
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