नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को रेलवे को निर्देश दिया कि वह अपनी जमीन से अनधिकृत संरचनाओं और अतिक्रमण को हटाने के लिए दो मस्जिदों पर चिपकाए गए नोटिस के अनुसार कोई कार्रवाई न करें. दिल्ली वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है. याचिका में दावा किया गया है कि तिलक मार्ग पर रेलवे ब्रिज के पास मस्जिद तकिया बब्बर शाह और बाबर मार्ग पर मस्जिद बच्चू शाह अनधिकृत नहीं हैं. यह भूमि रेलवे की नहीं है. मामले की अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी.
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि यह कैसा नोटिस है, जिसमें न तो किसी इमारत, न तारीख, न कुछ का जिक्र है. इसे किसी भी संरचना पर चिपकाया जा सकता था. कोर्ट ने टिप्पणी की, ऐसा प्रतीत होता है कि यह नोटिस कथित तौर पर रेलवे प्रशासन, उत्तर रेलवे, दिल्ली द्वारा जारी किया गया एक सामान्य नोटिस है, जो जनता से 15 दिनों के भीतर स्वेच्छा से रेलवे भूमि से मंदिरों/मस्जिदों/मजारों को हटाने का आह्वान करता है, अन्यथा उन्हें रेलवे प्रशासन द्वारा हटा दिया जाएगा.
कोर्ट ने आदेश दिया कि फिलहाल इन नोटिसों के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि वह इस मुद्दे पर "स्पष्ट निर्देश" लेंगे. दो मस्जिदें 123 असूचीबद्ध संपत्तियों का हिस्सा हैं, जिन्हें केंद्र ने याचिकाकर्ता से ले लिया है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील वजीह शफीक ने कहा कि 19 और 20 जुलाई को दशकों से मौजूद मस्जिदों पर नोटिस चिपकाए गए. जांच करने पर पता चला कि वे मंडल रेलवे प्रबंधक के कार्यालय से जारी किए गए हैं. उन्होंने कहा कि नोटिस में कोई फाइल नंबर, तारीख, हस्ताक्षर, जारी करने वाले व्यक्ति का नाम या पद नहीं है. रेलवे द्वारा कार्रवाई की आशंका जताते हुए शफीक ने अदालत से इस बीच अधिकारियों के "हाथ बांधने" का आग्रह किया.