नई दिल्लीःभारत जनसंख्या के मामले में दुनिया में नंबर एक पर आ गया है. ऐसे में जनसंख्या बढ़ने को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंता जता रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि आज हर जगह भीड़ और शोर शराबे से लोगों के मिजाज में बदलाव हो रहा है. आबादी बढ़ने से वाहनों की संख्या बढ़ रही है. प्राकृतिक संसाधनों का दोहन होने से हर तरह का प्रदूषण बढ़ रहा है. इससे लोगों में कई तरह की बीमारियां बढ़ रही हैं, इसमें वायु प्रदूषण ही नहीं, ध्वनि प्रदूषण भी लोगों की सेहत के लिए हानिकारक होता है.
सर गंगाराम अस्पताल के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के चेयरमैन और ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अजय स्वरूप का कहना है कि ध्वनि प्रदूषण लोगों के मस्तिष्क और हार्ट पर बुरा असर डालता है. उन्होंने कहा कि देश के साथ-साथ दिल्ली की आबादी भी तेजी से बढ़ रही है. यहां पहले से ही वाहनों की संख्या बहुत अधिक है, जिससे वायु प्रदूषण के साथ हार्न बजाने से ध्वनि प्रदूषण भी फैलता है.
अजय स्वरूप ने बताया कि 45 से 60 डेसीबिल तक की आवाज का एक मानक तय है. इससे अधिक आवाज होने पर यह ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आता है. ध्वनि प्रदूषण अधिक होने पर लोगों के कानों की सुनने की क्षमता कम हो जाती है. इससे 40 साल की उम्र के व्यक्ति की सुनने की क्षमता 60 साल के व्यक्ति के बराबर हो सकती है. ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. इसके दुष्प्रभावों से लोगों को परिचित कराने की जरूरत है. दिल्ली में बड़ी संख्या में इंडस्ट्रियल एरिया हैं. यहां फैक्ट्रियों में मशीनों की वजह से ध्वनि प्रदूषण होता है. यहां पर काम करने वाले वर्करों को भी ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए ईयर प्लग लगाने से लेकर बचाव के अन्य उपाय करने चाहिए.
दिल्ली में ध्वनि प्रदूषण रोकने की व्यवस्था:दिल्ली में एनजीटी के निर्देश पर ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए एक नोइज पाल्यूशन कंट्रोल कमिटी (एनपीसीसी) का गठन किया गया है. हर 15 दिन में कमिटी की बैठक होने का नियम है. बैठक में नोडल ऑफिसर के सामने सभी सिविक एजेंसियां नगर निगम, डीटीसी, ट्रैफिक पुलिस, एनडीएमसी, डीसीबी, पर्यावरण विभाग, शिक्षा विभाग, डीएसएलएसए, राजस्व विभाग, दिल्ली पुलिस सभी अपने-अपने द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हैं.
एनपीसीसी की बैठक में मिली ये रिपोर्ट: ट्रैफिक यूनिट के इंस्पेक्टर दीपक भारद्वाज ने एक जनवरी से 31 जनवरी तक पुलिस द्वारा ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपी. इसमें बताया गया कि प्रेशर हॉर्न का इस्तेमाल करने वाले 297 वाहनों के चालान काटे गए. शांत क्षेत्र में हॉर्न बजाने पर तीन वाहनों के चालान, मोडिफाइड साइलेंसर वाले 1076 वाहनों के चालान और वाहन में तेज संगीत बजाने पर एक वाहन का चालान काटा गया. इसके अलावा प्रत्येक मंगलवार को लोगों को ध्वनि प्रदूषण से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया.
ट्रांसपोर्ट विभाग में ने दी ये जानकारी:परिवहन उपायुक्त योगेश जैन ने बताया कि ट्रांसपोर्ट विभाग ने प्रेशर हॉर्न के खिलाफ लगातार अभियान चलाकर बस चालकों को इसका इस्तेमाल न करने के बारे में जागरूक किया है. परिवहन विभाग के पास मात्र 27 टीमें ही हैं, जो यातायात नियमों के उल्लंघन या ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. यह संख्या बहुत कम है. इसके अलावा ट्रांसपोर्ट विभाग के पास ध्वनि प्रदूषण या यातायात नियमों के उल्लंघन को रोकने के लिए उपकरणों की भी कमी है.
नगर निगम ने दी ये जानकारी: नगर निगम की ओर से बैठक में पहुंचे अधिकारी पंकज शर्मा ने बताया कि निगम की ओर से अतिक्रण हटाने के लिए 33 से ज्यादा अभियान चलाए गए. 31 मामलों में निगम ने स्वतः निरीक्षण किया. छह निर्माण स्थलों, 15 धार्मिक संस्थानों और 10 बैंक्वेट हाल का फरवरी में दौरा किया. इन 31 जगहों के निरीक्षण में 29 बार साउंड लेवल मीटर का इस्तेमाल कर ध्वनि प्रदूषण की जांच की गई. 29 जागरूकता बैठकें की गईं.