नई दिल्ली: मानसून के सीजन प्रतिवर्ष देश के लगभग अधिकांश इलाकों में जलभराव की समस्या होती है. चाहे देश की राजधानी दिल्ली हो या देश की आर्थिक राजधानी मुंबई. या फिर गुजरात, अहमदाबाद, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों की बात की जाए. सभी जलभराव और ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझते नजर आते हैं. इतना ही नहीं दिल्ली में तो जलभराव से हर साल एक दो लोगों की मौत होती है. साथ ही एनसीआर के दो प्रमुख शहर नोएडा और गुरुग्राम भी हाईटेक सिटी होने के बावजूद जलभराव की समस्या से जूझते हैं.
लोकल सर्कल्स सर्वे नामक संस्था द्वारा देश के 293 जिलों में ऑनलाइन माध्यम से सर्वे कर जलभराव की समस्या और इससे होने वाली परेशानियों को लेकर कुल 22 हजार से अधिक लोगों से बात की गई. इनमें जवाब देने वालों में 69 प्रतिशत पुरुष और 31 प्रतिशत महिलाएं शामिल रहीं. कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफार्म लोकल सर्कल्स ने यह सर्वे पांच जुलाई 2023 तक किया और इसके आंकड़े उन्होंने छह जुलाई को जारी किए. इनमें दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम के लोगों से एक सवाल जलभराव को लेकर और दूसरा सवाल जलभराव के बाद होने वाली समस्याओं को लेकर पूछा, जिनके बारे में लोगों ने अपने-अपने अनुभव के आधार पर जवाब दिए.
दिल्ली में जलभराव से संबंधित सर्वे में लोग 3,186 शामिल हुए
- 63 प्रतिशत लोगों ने बताया कि दिल्ली में मानसून के दौरान काफी जलभराव होता है.
- 34 प्रतिशत लोगों ने बताया कि कुछ-कुछ जगहों पर जलभराव होता है.
- 2 प्रतिशत लोगों ने बताया कि जलभराव नहीं होता है.
- 1 प्रतिशत लोगों ने जलभराव से संबंधित सवाल का कोई जवाब नहीं दिया.
- जलभराव से क्या-क्या समस्याएं होती हैं, इसका 1,544 लोगों ने जवाब दिया.
- 88 प्रतिशत लोगों ने कहा कि जलभराव की वजह से ट्रैफिक जाम में फंसना पड़ता है.
- 71 प्रतिशत लोगों ने कहा कि जलभराव व ट्रैफिक जाम की वजह से वर्किंग आवर्स और प्रोडक्टिविटी का नुकसान होता है.
- 70 प्रतिशत लोगों ने कहा कि ट्रैफिक जाम से वाहनों का अधिक ईंधन खर्च होता है और वाहन के रखरखाव की लागत भी बढ़ती है.
- 65 प्रतिशत लोगों ने कहा कि जलभराव से सड़क दुर्घटना का जोखिम भी बढ़ जाता है.
- 21 प्रतिशत लोगों ने जलभराव से होने वाली अन्य समस्याएं बताईं.
- 5 प्रतिशत लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया.