नई दिल्ली:दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (आइसीएमआर) कोविड-19 नेशनल टास्क फोर्स संयुक्त समूह द्वारा वयस्क कोरोना मरीजों के इलाज के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं. इस गाइडलाइन के अंतर्गत कोरोना मरीजों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. मरीजों को हल्की, मध्यम और गंभीर श्रेणी में रखा गया है. जारी की गई नई गाइडलाइंस के अनुसार, जिन मरीजों को हल्का बुखार और सर्दी-जुकाम है, लेकिन उन्हें सांस लेने में कोई तकलीफ नहीं है तो उन्हें हल्के लक्षण वाला मरीज माना जाएगा. ऐसे मरीजों को खुद को सिर्फ घर आइसोलेट करने की जरूरत है और इन्हें रेमडेसिवीर देने की भी जरूरत नहीं है. इन्हें मास्क लगाना चाहिए और घर के अन्य सदस्यों से दूरी बनाए रखनी चाहिए.
वहीं जिन मरीजों का पल्स रेट 24 प्रति मिनट है और ऑक्सीजन का स्तर 90 से 93 के बीच है, ऐसे मरीजों को मॉडरेट यानी मध्यम लक्षण वाला मरीज माना जाएगा. इन मरीजों को वार्ड में भर्ती होने की जरूरत है और ऑक्सीजन सपोर्ट के माध्यम से इनके ऑक्सीजन का स्तर 94 से 96 तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए. अगर मरीज बुजुर्ग है और उच्च जोखिम वाला है तो उसे पांच दिन तक रेमडेसिविर देनी चाहिए. एक दिन 200 एमजी और अगले चार दिन तक 100 एमजी.
इसके अलावा अगर किसी मरीज का पल्स रेट 30 प्रति मिनट से कम और ऑक्सीजन स्तर 90 से कम है तो ऐसे मरीज को आइसीयू में भर्ती करना चाहिए. साथ ही इन्हें नॉन इनवेसिव वेंटिलेशन (एनआईवी) मास्क की सहायता से आक्सीजन देनी चाहिए. इससे अगर ऑक्सीजन का स्तर बढ़ने में देरी हो तो हाई फ्लो नसल कैन्नुला (एचएफएनसी) का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन देनी चाहिए. साथ गंभीर मरीज को 24 से 48 घंटे तक टॉसिलीजुमैब टैबलेट भी दे सकते हैं. इन मरीजों को बहुत जरूरी होने पर स्टेरॉइड्स भी दे सकते हैं. अगर ऐसे मरीज को कफ और एक सप्ताह तक खांसी रहती है तो इनकी टीबी की भी जांच करानी चाहिए.