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आदेश के बाद भी नहीं जागा निगम, बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ कर भविष्य संवारने का वादा कर रहे कोचिंग सेंटर

दिल्ली में मुखर्जी नगर की कोचिंग में लगी आग लगने की घटना तो आपको याद ही होगी, जिसमें छात्रों को बचने के लिए खिड़की से निकलना पड़ा था. इसको देखते हुए हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने बिना फायर एनओसी के चलाए जा रहे कोचिंग सेंटरों को बंद करने का आदेश दिया. इसके बावजूद दिल्ली नगर निगम ने अब तक किसी भी कोचिंग को एनओसी के लिए नोटिस नहीं दिया है. आलम यह कि छात्र अपनी जान दांव पर लगाकर अपने भविष्य संवारने की कवायद को जारी रखने के लिए मजबूर हैं.

Coaching operators did not get notice
Coaching operators did not get notice

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Published : Aug 3, 2023, 6:33 AM IST

Updated : Aug 3, 2023, 4:13 PM IST

बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे कोचिंग सेंटर

नई दिल्ली:राजधानी मेंमुखर्जी नगर स्थित कोचिंग सेंटर में आग लगने की घटना के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने बिना फायर एनओसी के चल रहे सभी कोचिंग सेंटर को एक महीने के अंदर बंद कराने का आदेश दिया था. लेकिन आदेश के सप्ताह बीत जाने के बाद भी दिल्ली नगर निगम की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई है. वहीं निगम अधिकारी भी इस पर मौन साधे हुए हैं.

नहीं मिला कोई नोटिस: इस बारे में ईटीवी भारत ने लक्ष्मीनगर इलाके में स्थित कोचिंग सेंटर संचालकों से बात की. उन्होंने बताया कि निगम की तरफ से फायर एनओसी को लेकर किसी भी तरह का नोटिस नहीं मिला है. इससे पता चलता है कि निगम को लक्ष्मीनगर, शकरपुर, ललिता पार्क और विकास मार्ग पर बहुत ही संकरी गलियों और बहुत कम चौड़ाई की सीढ़ियों वाली इमारतों में चल रहे कोचिंग सेंटरों की कोई सुध ही नहीं है. यहां संचालि किए जा रहे कोचिंग सेंटरों की स्थिति यह है कि आग लगने पर इनमें से निकलना बहुत ही मुश्किल है.

इसलिए है जान को खतरा:इनमें से अधिकतर कोचिंग की क्लास ऊपर की मंजिल पर चलाई जाती है. इन इमारतों में सीढ़ियां कम चौड़ी हैं, जिससे दो लोगों का साथ में चढ़ना-उतरना मुश्किल है. किसी तरह का हादसा होने पर इनके सहारे ज्यादा लोगों का निकल पाना संभव नहीं है. इसके अलावा इन इमारतों में सीढ़ियों के नजदीक दरवाजे पर ही बिजली के मीटर लगे हैं, जो हादसों को दावत दे रहे हैं.

इन कारणों से खतरनाक हैं यहां संचालित कोचिंग सेंटर

दूसरा सबसे बड़ा कोचिंग हब: गौरतलब है कि मुखर्जी नगर के बाद लक्ष्मी नगर क्षेत्र, दिल्ली में दूसरे सबसे बड़े कोचिंग सेंटर हब के रूप में जाना जाता है. यहां पर बड़ी संख्या में चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए), एसएससी, यूपीएससी एंव अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए 100 से ज्यादा कोचिंग सेंटर संचालित किए जाते हैं. लक्ष्मी नगर मुख्य रूप से सीए की कोचिंग के लिए जाना जाता है. साथ ही यहां कंप्यूटर की क्लासेज और इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स सेंटर भी खुले हुए है.

"मुखर्जी नगर की घटना के बाद निगम ने 897 कोचिंग सेंटरों में फायर एनओसी की जांच कर उन्हें नोटिस दिया है. चार कोचिंग सेंटर सील भी किए हैं. इसके अलावा जांच के बाद 98 कोचिंग सेंटर संचालकों ने अपने कोचिंग सेंटर बंद कर दिए हैं."

प्रेस सूचना विभाग, दिल्ली नगर निगम

हो सकता है जान माल का भारी नुकसान: दरअसल लक्ष्मी नगर काफी सघन आबादी वाला है. यहां की गलियां गलियां संकरी हैं और कोचिंग सेंटरों की भरमार के चलते बिजली और इंटरनेट के तारों का जंजाल बना है. इससे यहां शॉर्ट सर्किट होने का खतरा बना रहता है. यहां एक इमारत में तीन-चार कोचिंग सेंटर चलाए जा रहे हैं, जिससे कोई हादसा होने पर जान माल का भारी नुकसान पहुंचा सकता है. इतना ही नहीं, इन कोचिंग में जाने का एक ही रास्ता है, जिससे एमरजेंसी में कोई और रास्ता इस्तेमाल करने का विकल्प ही नहीं बचता.

इसलिए बचाव कार्य है मुश्किल:इसके अलावा सभी इमारतें एक दूसरे से सटी हुई हैं, जिससे आग लगने पर दूसरी इमारत भी चपेट में आने की आशंका बनी रहती है. वहीं, तारों के जंजाल के चलते आग बुझाना भी टेढ़ी खीर साबित होगा. इन कोचिंग को नोटिस देने को लेकर निगम के प्रेस सूचना निदेशक अमित कुनार से फोन और मैसेज के माध्यम से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई. हालांकि उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला.

लक्ष्मीनगर क्यों है कोचिंग हब:लक्ष्मीनगर के पूर्व पार्षद संतोष पाल ने बताया कि 2000 के बाद से लक्ष्मीनगर में कोचिंग सेंटर खुलने शुरू हुए, जिसके बाद इनकी संख्या बढ़ती चली गई. वहीं, स्थानीय निवासी राजेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि जब यहां कोचिंग सेंटर खुलने लगे, तो अच्छे किराए के लालच में लोगों ने अपनी रिहायशी इमारतों को भी किराए पर दे दिया. इन इमारतों में आग लगने से बचाव का कोई इंतजाम नहीं है. साथ ही इन इमारतों में इतनी कम जगह है कि इन्हें सुरक्षा के अनुकूल बनाना भी मुश्किल है. इस पर नगर निगम और फायर सर्विस विभाग द्वारा कभी ध्यान ही नहीं दिया गया.

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बच्चों की जान के साथ खिलवाड़: इस तरह ये कोचिंग सेंटर लगातार छात्रों की जान के साथ खिलवाड़ करके अपना धंधा चला रहे हैं. वहीं भविष्य बनाने की जद्दोजहद में छात्र यह भी भूल जाते हैं कि ये इमारतें कितनी खतरनाक हैं. बताया जाता है कि जेएनयू के पास कटवारिया सराय में रहन सहन महंगा होने के बाद कम किराया होने के चलते कोचिंग सेंटर संचालकों ने यहां कोचिंग खोले. शुरू-शुरू में यहां दो-तीन ही कोचिंग सेंटर चलाए जाते थे, लेकिन कम पैसों में खाने की व्यवस्था होने के चलते बड़ी संख्या में छात्र यहां आने लगे. इसके चलते कोचिंग सेंटरों की संख्या लगातार बढ़ती चली गई.

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Last Updated : Aug 3, 2023, 4:13 PM IST

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