नई दिल्ली:देश की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय की संस्था ने एक विशेष पाठ्यक्रम लॉन्च किया. नेशनल एजुकेशन सोसायटी फॉर ट्राईबल स्टूडेंट (एनईएसटीएस) ने सोमवार को अमेजन फ्यूचर इंजीनियरिंग प्रोग्राम के तहत इस पाठ्यक्रम को लॉन्च किया. इसके तहत छात्र कंप्यूटर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉक प्रोग्रामिंग जैसे विषय की पढ़ाई कर सकेंगे. इसका मुख्य उद्देश्य दूरदराज इलाकों में स्थित स्कूलों में पढ़ने वाले आदिवासी छात्र-छात्राओं को कंप्यूटर के बारे में सिखाना है, जिनके क्षेत्र के छात्रों ने अभी तक कंप्यूटर देखा भी नहीं है. इसमें छठवीं कक्षा से ही कंप्यूटर पर कोडिंग की क्लास कर सकेंगे.
20 घंटों का होगा कुल पाठ्यक्रम:केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पाठ्यक्रम को लांच किया. उन्होंने कहा कि अमेजन फ्यूचर इंजीनियरिंग प्रोग्राम के तहत यह पाठ्यक्रम लॉन्च किया गया है. इसके द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बड़ी संख्या में आदिवासी छात्र-छात्राओं को टेक फ्रेंडी बनाया जाए. उन्हें रोजगार के मामले में भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया जाए.
उन्होंने कहा कि 20 घंटे का यह पाठ्यक्रम बच्चों में डिजिटल एजुकेशन और कंप्यूटर शिक्षा के बारे में रुचि तो पैदा करने के साथ डिजिटल क्रांति के युग में उन्हें रोजगार दिलाने का भी है. पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद उन्हें आगे की कक्षाओं में अपग्रेडेड ट्रेनिंग दी जाएगी. यह पाठ्यक्रम देश के 54 एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल (ईएमआरएस) में पढ़ाया जाएगा.
8000 से अधिक स्कूलों में लागू होगा पाठ्यक्रम: इस पाठ्यक्रम में पहले इसमें सिर्फ कंप्यूटर शिक्षा शामिल थी और यह आठवीं क्लास तक के बच्चों को दी जाती थी. अब पाठ्यक्रम को अपग्रेड किया गया है, अब इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉक प्रोग्रामिंग, प्रोजेक्ट आधारित ट्रेनिंग, लूप प्रोग्रामिंग, म्यूजिक कंपोजिंग के लिए कोडिंग और प्रोग्रामिंग का इस्तेमाल, मौसम संबंधी प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए प्रोग्रामिंग, प्रोग्राम रोबोट, प्रोब्लम सॉल्विंग टेक्निक आदि विषय भी शामिल किए गए हैं. अब इसे नौवीं कक्षा के बच्चों को भी पढ़ाया जाएगा. आदिवासी छात्रों के लिए शुरू किए गए इस पाठ्यक्रम के बारे में अमेजन फ्यूचर इंजीनियर के इंडिया हेड अक्षय कश्यप ने बताया कि पिछले दो वर्ष में आठ राज्यों के 8,000 से अधिक सरकारी स्कूलों के 1.4 मिलियन छात्रों ने इस कार्यक्रम के तहत कंप्यूटर शिक्षा ली है.